24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

MP election news: महिलाएं भाजपा से टिकट को तरसीं, बुजुर्ग उम्मीद से ज्यादा, पांच विधायक घर बैठाए

जातियों को साधने का प्रयास, पुराने चेहरों पर दावं

4 min read
Google source verification
MP Election 2018: Why BJP CUT Sitting MLA's Ticket in Vindhya Pradesh

MP Election 2018: Why BJP CUT Sitting MLA's Ticket in Vindhya Pradesh

सतना। लंबे इंतजार के बाद मध्यप्रदेश विस चुनाव के लिए भाजपा ने शुक्रवार को प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी। 177 नामों की इस लिस्ट में सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली सहित विंध्य के चार जिले और बुंदेलखंड के पन्ना समेत 25 सीटों में से भाजपा ने 22 पर प्रत्याशियों की घोषणा की है। अमरपाटन, सिहावल और पन्ना सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हो पाई है। एक मंत्री हर्ष सिंह की जगह उनके बेटे को वहीं चार विधायकों गुनौर, सेमरिया, त्योंथर और देवसर के टिकट काटे गए हैं। जगह जहां टिकट बदले हैं, वहां पार्टी ने इससे पहले 2008 में विधायक या उम्मीदवार रहे भाजपाइयों पर ही भरोसा किया है। टिकट नहीं घोषित की गई तीन सीटों में कांग्रेस के दिग्गज व विस उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह की अमरपाटन व पूर्व मंत्री इंद्रजीत कुमार का सिहावल क्षेत्र भी शामिल है। यहां से पिछली बार उनके बेटे एआइसी सचिव कमलेश्वर पटेल ने करीब 25 हजार मतों से भाजपा प्रत्याशी विश्वामित्र पाठक को हराया था। इन दोनों सीटों पर भाजपा पार्टी के बड़े चेहरों को उतार सकती है। पार्टी आलाकमान ने स्थानीय नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करने की कोशिश जरूर की है पर कुछ जगह विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। अमरपाटन में विस उपाध्यक्ष कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह के मुकाबले पार्टी कोई सशक्त उम्मीदवार नहीं ढूंढ़ पाई है। पन्ना में मंत्री कुसुम महदेले के नाम की घोषणा भी नहीं हो पाई है। ज्यादा उम्र, एंटी इनकंबेंसी और उनका सख्त रवैया भी उनके टिकट कटने का कारण बन सकता है। सूची में एक भी महिला नहीं। जबकि, गत महीने हुए कमल शक्ति सम्मेलन से पार्टी की महिला नेताओं को उम्मीद थी कि वरीयता दी जाएगी। सम्मेलन में आए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी ऐसा ही इशारा दे गए थे।

जातिगत समीकरण
विंध्य के चुनाव में जातिगत फैक्टर हमेशा हावी रहा है। लेकिन भाजपा की पहली सूची में जातिगत समीकरण साधने की कोशिश नहीं की गई। आरक्षित सीटों की बात छोड़ दें तो भाजपा ने जिताऊ चेहरों को वरीयता दी है। पांच जिलों की 15 सामान्य सीटों में से ओबीसी के दो प्रत्याशी मऊगंज से प्रदीप पटेल और सिंगरौली से रामलल्लू को बनाया है। सर्वाधिक 8 ब्राह्मण, छह क्षत्रिय हैं। यानी 13 सीटों पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवार उतारे हैं। नागौद से एक महिला नेता पार्टी से बगावत कर चुनाव लडऩे की बात कह चुकी हैं। हालांकि, पार्टी आलाकमान ने भरोसा जताया है कि डैमेज कंट्रोल कर लिया जाएगा। तीन सीटों में अभी प्रत्यााशी घोषित करने हैं। माना जा रहा है कि यहां से ओबीसी के बड़े नेताओं को प्रत्याशी बनाकर इसकी भरपाई करने की कोशिश की जाएगी। 22 में चार सीट अनुसूचित जाति व 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इनमें भी ज्यादातर पार्टी ने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है।

हारे को हरिनाम, अमरपाटन में संशय, बगावत भी
सतना की अमरपाटन सीट को छोड़कर ६ विस की टिकट घोषित हुई। इस बार 2013 में चुनाव हार चुके दो प्रत्याशियों को मौका नहीं दिया। सतना से शंकरलाल तिवारी व मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी पर पार्टी का भरोसा कायम है। पूर्व विधायक मोतीलाल तिवारी व पूर्व प्रत्याशी रमेश पांडेय को मायूसी हाथ लगी हैं। नागौद से पूर्व लोक निर्माण मंत्री, खजुराहो सांसद नागेंद्र सिंह को टिकट मिली है। पूर्व प्रत्याशी गगनेंद्र सिंह पर पार्टी ने भरोसा नहीं जताया है। रैगांव में पूर्व मंत्री जुगुल किशोर बागरी को प्रत्याशी बनाया है। उनके बेटे पुष्पराज सिंह की दावेदारी को पार्टी ने नकार दिया हैं। चित्रकूट में पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार को मौका मिला है। युवा चेहरा सुभाष शर्मा की दावेदारी भी कमजोर रही है।

बगावती सुर भी सामने आए
अमरपाटन से भाजपा सांसद गणेश सिंह के नाम पर चर्चा कर रही है। टिकट घोषणा के साथ ही बगावती सुर भी सामने आ गए। नागौद से पूर्व जिपं अध्यक्ष गगनेंद्र सिंह ने समर्थकों के साथ बैठक की। कार्यकर्ताओं ने कहा कि पार्टी किसी को टिकट दे और हम प्रचार करें, ऐसा नहीं होगा। सतना में भाजपा नेता रामोराम गुप्ता ने भी विरोध के स्वर दिखाए। वे सपाक्स से चुनाव लड़ेंगे। युवा नेता सुभाष शर्मा को लेकर असंतुष्टि का माहौल दिखा। लेकिन, वे खुद सामने नहीं आए। चितरंगी में पूर्व मंत्री जगन्नाथ सिंह के भाई को टिकट मिलने पर बहू राधा सिंह ने बगावत कर दिया। उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

उम्र फैक्टर
कांग्रेस के कब्जे वाली नागौद से 68 वर्षीय पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। रैगांव से बसपा विधायक ऊषा चौधरी के खिलाफ 75 साल के पूर्व मंत्री जुगुलकिशोर बागरी को उतारा है। रामपुर से मंत्री हर्ष नारायण की जगह बेटे विक्रम को प्रत्याशी बनाया गया है।

नए चेहरे परिवार से
40साल से कम के दो प्रत्याशी हैं। रामपुर बाघेलान से विक्रम सिंह व देवसर से सुभाष वर्मा, लेकिन दोनों नेता पुत्र हैं। विक्रम हर्ष नारायण के बेटे हैं, वहीं सुभाष पूर्व विधायक रामचरित्र के बेटे हैं।

पत्नी की जगह पति, बेटे की जगह बाप
भाजपा ने बसपा की सीटों पर अलग प्रयोग किया। मनगवां से 2013 में उम्मीदवार रहीं पन्नाबाई का टिकट छीन पति पंचूलाल को दिया है। रैगांव में पुष्पराज की जगह पिता जुगुल किशोर को टिकट दिया। मनगवां में बसपा की शीला त्यागी व रैगांव में ऊषा चौधरी विधायक हैं।

इसलिए कटे एक मंत्री-चार विधायकों के टिकट
1. गुन्नौर : महेन्द्र सिंह बागरी का कटा, पूर्व विधायक राजेश वर्मा को मिला (बागरी अजयगढ़ के रहने वाले थे, कभी क्षेत्र में नहीं आए, लोगों में भारी विरोध, अमित शाह के सर्वे में भी भ्रष्टाचार की शिकायत मिली वर्मा को लोगों ने ज्यादा तवज्जो दी)
2. रामपुर : हर्ष सिंह, खराब स्वास्थ्य के कारण बेटे विक्रम सिंह को टिकट मिला
3. सेमरिया : नीलम मिश्रा कटा, के पी त्रिपाठी को मिला (विधायक नीलम मिश्रा के पति अभय कांग्रेस से रीवा के दावेदार, अपनी ही सरकार के खिलाफ विधानसभा में भी आवाज उठा चुकीं)
4. त्योंथर : रमाकांत तिवारी का कटा, श्यामलाल द्विवेदी को मिला (तिवारी की उम्र 90 से ज्यादा, स्वास्थ्य खराब, पहले ही कह दिया था चुनाव नहीं लड़ेंगे)
5. देवसर : राजेन्द्र मेश्राम का टिकट कटा, सुभाष वर्मा को मिला (बालाघाट के रहने थे मेश्राम, क्षेत्र मेें सक्रियता नहीं)