
patrika sambad in birsinghpur sambad kyo karaya jata hai
सतना। धार्मिक नगरी बिरसिंहपुर के विकास और यहां की समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचाने के लिए शासकीय उच्चतर विद्यालय बिरसिंहपुर में पत्रिका संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें स्थानीय लोगों ने नगर की जरूरत और समस्याओं पर बेबाकी से अपनी राय रखी। उनका कहना था कि गैवीनाथ धाम की वजह से कस्बा प्रदेशभर में ख्याति रखता है। इसके बाद भी यहां न तो विकसित बस स्टैंड है और यात्री प्रतीक्षालय। इससे श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इसका असर यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पर भी पड़ रहा है। पुरानी धर्मशालाओं पर भी उनके परिवार या भू-कारोबारी की नजर है। यात्रियों को ठहरने का भी उचित विकल्प नहीं मिल पाता। हालांकि अभी गैवीनाथ मंदिर परिसर में ही कमरों का निर्माण कार्य जारी है, फिर भी टाउनहाल या सामुदायिक हाल बनाया जाना चाहिए। कस्बे की गलियां संकीर्ण हैं और अतिक्रमण चरम पर है। नगर परिषद अभी तक मुक्तिधाम की व्यवस्था नहीं कर पाई है। इस मौके पर पत्रिका के स्थानीय संपादक राजीव जैन और यूनिट हैड नरेंद्र खंगारौत मौजूद थे।
शिक्षा
नगर में दो उच्च. विद्यालय, एक कन्या और एक बालक विद्यालय है। पढऩे के लिए आसपास के क्षेत्र से बच्चे आते हैं। बालक स्कूल में भवन है, पर शिक्षकों की कमी है। कन्या स्कूल में शिक्षक हैं, जगह नहीं।
अतिक्रमण
नगर अतिक्रमण से ग्रसित है। शमशान विकास में बाधक है। पर्याप्त जगह है, जिसे विकसित कर रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं। बसस्टैंड, सब्जी मंडी, टाउनहाल और मीट बाजार विकसित किया जा सकता है।
स्वास्थ्य
क्षेत्र में चार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, दो उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। यहां डॉक्टरों की कमी है। इससे पूरा भार प्रा. स्वास्थ्य केंद्र बिरसिंहपुर पर आ जाता है। एक डॉक्टर के भरोसे 84 गांव की आबादी है।
प्रशासनिक
तहसील कार्यालय के लिए तीन भवन हैं, जो खंडहर हो रहे हैं। बिरसिंहपुर के चार वार्ड जैतवारा तहसील से जुड़े हैं। 11 वार्ड बिरसिंहपुर से। एसडीएम ऑफिस बना है फिर भी कभी एसडीएम नहीं बैठते।
पार्किंग
गैवीनाथ मंदिर के चलते वर्ष में कई बार बसंत, महाशिवरात्रि, पूर्णमासी , पुरषोत्तम मास, सावन और सोमवार मेला लगता है। पर यात्रियों के वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था कहीं भी नहीं है।
पानी-बिजली
किसानों को खेतों में सिंचाई के समय नाममात्र की बिजली मिलती है। क्षेत्र में पानी का स्रोत नदियां है। नगर परिषद की नालियां भी नदी में गिरती हैं। फिलहाल तो नदी ही सूखी है। गर्मी में जलसंकट रहता है।
Published on:
10 Feb 2019 06:54 pm
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