
Satna Administration stopped work in thakur ranmat singh statue
सतना। जिले में कुछ ऐसी सड़कें हैं जो मापदंडों के अनुकूल और बेहतर अवस्था में हैं। उनमें एक है सतना-मझगवां रोड। लेकिन, सतना-चित्रकूट हाइवे पर कोठी के आगे सोनौर मोड़ पर बीच चौराहे पर स्थानीय विधायक द्वारा सड़क को खोद कर प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी कर ली गई थी। इसके लिए न तो जिला प्रशासन से अनुमति ली गई और न ही सूचित किया गया। हालांकि समय रहते मामले की जानकारी जिला प्रशासन को लगी और काम बंद कराया गया।
एक बड़े हिस्से पर खुदाई
स्थानीय लोगों ने बताया, रैगांव की बसपा विधायक ऊषा चौधरी द्वारा सोनौर मोड़ चौराहे पर रणमत सिंह की प्रतिमा स्थापित करवाई जानी थी। उनके द्वारा मंगलवार की सुबह जब चौराहे के बीच में एक बड़े हिस्से पर खुदाई करा दी गई तब अधिकारियों को पता चला। चौराहे के समीप रहने वाले लोगों ने इस निर्माण पर यह कहते हुए आपत्ति जताई कि यहां आए दिन हादसे होते हैं।
अधिकारियों ने काम रुकवाया
अगर चौराहे पर कोई निर्माण होता है तो यह स्थल हादसों के स्थल में बदल जाएगा। इसकी सूचना कलेक्टर मुकेश शुक्ला को दी गई। इसके बाद एसडीएम ओमनारायण सिंह मौके पर पहुंचे और शिकायत को सही पाया। तब तक मौके पर नायब तहसीलदार अर्चन गुप्ता और कोठी थाने का पुलिस बल पहुंचा। अधिकारियों ने न केवल काम रुकवाया बल्कि स्थल समतलीकरण का कार्य भी किया गया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना
सुगम और हादसारहित आवागमन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी 2013 को निर्णय सुनाते हुए आदेश जारी किए थे कि कोई भी राज्य या केंद्र सरकार किसी भी सार्वजनिक स्थान, चौराहों तथा पब्लिक रोड पर किसी भी मूर्ति की स्थापना नहीं करेगी। यह तल्ख टिप्पणी भी की गई थी कि इन मूर्तियों की स्थापना पर लगाया जा रहा पैसा गरीबों के उत्थान के लिए प्रयोग किया जाए तो उचित रहेगा। लेकिन, यहां कोर्ट के आदेश की अवमानना की जा रही थी।
चुनावी गणित
यह कहानी कोठी तिराहे पर सांसद द्वारा लगवाई गई ठाकुर रणमत सिंह की प्रतिमा से शुरू होती है। इस प्रतिमा को लगवा कर भाजपा ने एक बड़े वर्ग को साधने की कोशिश की थी। लेकिन उस वक्त प्रतिमा के आकार को लेकर जब चर्चा का दौर शुरू हुआ तो बसपा विधायक ने आदमकद प्रतिमा लगाने की घोषणा कर डाली। उसी प्रतिमा स्थापना के लिये वे स्टेट हाइवे के चौराहे पर बिना अनुमति खुदाई करवा कर निर्माण करवा रही थीं।
एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप
मामले में एमपीआरडीसी की भूमिका सवालों में है। बसपा विधायक ऊषा चौधरी ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने एमपीआरडीसी के अधिकारियों को पत्र दिया था। इस पर एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने एनओसी दे दी थी। सड़क पर काम प्रारंभ कराने के संबंध में जिला प्रशासन को सूचित करने के जवाब में उन्होंने बताया कि कलेक्टर को इसकी जानकारी थी।
अब किसी अन्य स्थल पर लगवाएंगे
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश की बात कहते हुए बंद करवा दिए हैं। उन्होंने कहा कि मूर्ति तो लगवानी ही है, अब किसी अन्य स्थल पर लगवाएंगे। मामले में एमपीआरडीसी के अधिकारी उमेश सिंह ने कहा कि उनके द्वारा सड़क पर निर्माण की कोई एनओसी नहीं दी गई है।
Published on:
25 Jul 2018 12:56 pm
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