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‘स्वच्छ रेल-स्वच्छ भारत’: सफाई में सतना रेलवे स्टेशन देश में 356वें स्थान पर, A-ग्रेड स्टेशन की हुई बदतर स्थिति

स्वच्छता: एक साल में 240 पायदान नीचे खिसकी रैंकिंग, पिछले साल मिली थी 116वीं रैंक

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Satna railway station ranked 356th in the country in cleanliness

Satna railway station ranked 356th in the country in cleanliness

सतना/ 'स्वच्छ रेल-स्वच्छ भारत' के तहत जारी रेलवे स्टेशनों की रैंकिंग में अपना सतना रेलवे स्टेशन 240 पायदान नीचे आ गया है। इस बार रेलवे स्टेशन बीते वर्ष की स्थिति को भी बरकरार रखने में नाकाम साबित हुआ है। स्टेशन को देशभर में 356वां स्थान मिला है। जबकि, पिछले वर्ष जारी रैंकिंग में सतना को 116वां स्थान मिला था।

बता दें कि वर्ष 2018 में सतना रेलवे स्टेशन को डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन में 290.26 अंक मिले थे। सिटीजन फीडबैक में 302.16 अंक और स्टेशन के प्रोसेस इवेल्यूशन स्कोर में 213.74 अंक मिले थे। इस तरह रेलवे स्टेशन को कुल 806.16 अंकों के आधार पर 116वीं रैंकिंग दी गई थी।

दावा आदर्श स्टेशन का, हकीकत में गंदा
सतना रेलवे स्टेशन को ए ग्रेड का दर्जा मिलने के बाद स्थिति बद से बदतर होती गई। प्लेटफार्म नंबर-1 व दो के रेलवे ट्रैक गंदगी से अटे रहते हैं। इन ट्रैकों की कभी सफाई नहीं होती। ऐसी ही स्थिति प्लेटफार्म नंबर 3 की भी आए दिन रहती है। यहां सफाई का जिम्मा ठेकेदार के पास है। शौचालयों से दुर्गंध आती है। प्लेटफार्म क्रमांक-दो के शौचालय में तो ताला डाल दिया गया है। टॉयलेट की भी नियमित सफाई नहीं होती। बारिश के दौरान तो प्लेटफार्म पर खड़े होना मुश्किल होता है। यात्रियों के सामने दुविधा पैदा हो जाती है कि लगेज का बचाव करें या खुद का। हाल ही में बनाए गए एफओबी ने भी रैकिंग घटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एफओबी का शेड घटिया स्तर का है, उसमें जगह-जगह रिसाव है। इससे यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

यहां भी चूके हम...अव्यवस्था पड़ी भारी
रेलवे स्टेशन से हर रोज डेढ़ सैकड़ा से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं। इसकी वजह से रोजाना 25 से 30 हजार यात्रियों का आना-जाना होता है। स्टेशन पर टिकट के लिए भी पर्याप्त खिड़कियां नहीं हैं। इसकी वजह से भी यात्रियों को बेहद दिक्कत होती है। स्टेशन के मुख्य गेट के समक्ष ही ऑटो सहित निजी वाहनों का जमावड़ा लगा रहता था। स्थानीय प्रबंधन की इन अव्यवस्थाओं ने रैकिंग पर खासा असर डाला। इसकी वजह से सतना स्टेशन 240 पायदान नीचे आ गया।

पिछडऩे की ये भी वजह
प्लेटफार्म की लंबाई कम होने से अधिक भीड़ का दबाव, मशीन द्वारा सफाई सिर्फ प्लेटफार्म एक होती है, वह भी कभी-कभी। प्लेटफार्म क्रमांक-दो पर गंदगी का आलम रहता है। जहां पर ट्रेनों के जाने के बाद ट्रैकों पर गंदगी रहती है। फु टओवर ब्रिज का घटिया निर्माण, स्थानीय प्रबंधन द्वारा कराए जा रहे बेतरतीब और अनियोजित निर्माण कार्य भी पिछडऩे की वजह है।

अबकी बार ऐसे पिछड़े हम
डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन में रेलवे स्टेशन को 210.69 अंक मिले। सिटीजन फीडबैक में 306.28 अंक मिले, जबकि स्टेशन का प्रोसेस इवेल्यूशन स्कोर 189.06 रहा। इस तरह रेलवे स्टेशन को कुल 706.02 अंक मिले। इन अंकों के आधार पर ही 356वीं रैकिंग दी गई है।

सर्वे के मानक
- रेलवे ने यात्रियों से ओपीनियन लिए, इसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई।
- अलग-अलग स्टेशनों पर यात्रियों की राय ली जाती है।
- सर्वे टीम मौके पर सफाई और इसके तरीकों की जांच करती है।
- इसमें डिजाइन सर्वे और प्लेटफार्म की गुणवत्ता देखी जाती है।
- शौचालयों की क्वॉलिटी और साफ-सफाई परखी जाती है।
- क्लीनिंग रूम को भी आधार बनाते हैं।
- पीने के पानी और सोलिड वेस्ट के निस्तारण की प्रक्रिया देखी जाती है।