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sidhi: तीन साल में नहीं शुरू हो पाए मिट्टी परीक्षण केंद्र, चलित वाहन हुआ कबाड़

किसानों के खेतों की मिट्टी परीक्षण के शुरू की गई कवायदें पड़ी ठंडी-लाखों का चलित वाहन हो गया कबाड़, विकासखंड स्तर पर केंद्र बनकर तैयार, लेकिन स्टॉफ के अभाव में संचालन नहीं

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sidhi: Soil testing center could not be started in three years, mobile

sidhi: Soil testing center could not be started in three years, mobile

सीधी। किसानों की खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए भले ही शासन स्तर से तमाम दावे किये जा रहे हैं, लेकिन सीधी जिले में खेती किसानी से जुड़ी कुछ योजनाओं की दुर्दशा इन तमाम दावों की पोल खोल रही है। किसानों के खेतों में पोषक तत्वों की जानकारी का पता लगाने के लिए स्थानीय स्तर पर मिट्टी परीक्षण की सुविधा के लिए जिले में लाखों रुपये तो खर्च किये गए, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही से आज तक किसानों को स्थानीय स्तर पर मिट्टी परीक्षण की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है। इसके लिए करीब पचास लाख से अधिक बजट खर्च कर करीब सात वर्ष पूर्व एक चलित मिट्टी परीक्षण वैन क्रय की गई थी, लेकिन उसके संचालन व्यवस्था के लिए बजट नहीं उपलब्ध कराया जा सका, जिससे वह मिट्टी परीक्षण वैन खड़े-खड़े ही कबाड़ हो गई। इसके बाद विकासखंड स्तर पर मिट्टी परीक्षण केंद्र भवनों का निर्माण कराया गया, करीब तीन वर्ष पूर्व सभी विकासखंडों में भवन बनकर तैयार हो गये, लेकिन वहां आज तक स्टाफ की व्यवस्था नहीं हो पाई, जिससे संचालन शुरू नहीं हो पाया, लिहाजा नवनिर्मित मिट्टी परीक्षण केंद्र भवन भी अब कबाड़ का रूप लेते जा रहे हैं। ऐसे में किसानों को अपने खेतों की मिट्टी परीक्षण के लिए 100 से 150 किमी दूरी जिला मुख्यालय में आना पड़ता है, अत्यधिक दूरी होने के कारण कई किसान जिला मुख्यालय तक नहीं पहुंच पाते।
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खराब हो रहे उपकरण, भवन हो रहे जर्जर-
जिले के विकासखंड मुख्यालयों कुसमी, सिहावल, मझौली तथा रामपुर नैकिन में मिट्टी परीक्षण केंद्र तीन साल पहले ही बनकर तैयार हो चुके हैं। मिट्टी परीक्षण हेतु यहां आवश्यक उपकरण भी भोपाल स्तर से उपलब्ध करा दिये गए हैं, लेकिन अब तक केंद्रों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। विभागीय अधिकारियों द्वारा केंद्रों के संचालित न हो पाने की वजह स्टॉफ की कमी बताई जा रही है। अधिकारियों का कहना है की केंद्र तो स्वीकृत कर दिये गए हैं, लेकिन वहां के लिए स्टॉफ की व्यवस्था अब तक नहीं की गई है, विभाग में भी बड़ी संख्या में पद रिक्त पड़े हुए हैं, जिससे केंद्रों का संचालन नहीं हो पा रहा है। विकासखंड स्तर पर मिट्टी परीक्षण केंद्र का संचालन न हो पाने से किसानों को स्थानीय स्तर पर मिट्टी परीक्षण की सुविधा नहीं मिल पा रही है और उन्हें जिला मुख्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
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पचास लाख की चलित मिट्टी परीक्षण वैन खड़े-खड़े हो गई कबाड़-
जिले में करीब बावन लाख रुपये की लागत से खरीदी गई चलित मिट्टी परीक्षण वैन के संचालन की व्यवस्था प्रशासन नहीं कर पाया। अत्याधुनिक उपकरणों से लैस सात वर्ष पूर्व क्रय की गई यह चलित मिट्टी परीक्षण वैन खड़े-खड़े कबाड़ हो गई। वैन के संचालन के लिए बजट की व्यवस्था न होने उसके पहिए थम गए। लिहाजा सर्वसुविधा युक्त यह चलित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला वैन जिले के कुसमी थाना परिसर में खड़ी धूल खा रही है। बता दें की एसीए फॉर एलडब्ल्यूई प्रभावित जिला योजनांतर्गत 52 लाख 40 हजार 750 रूपए में वर्ष 2014-15 में चलित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला वैन की खरीदी की गई थी। चलित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला वाहन के नियमित संचालन हेतु तत्कालीन कलेक्टर द्वारा जिला प्रबंधक एमपी एग्रो सीधी, जिला विपणन अधिकारी सीधी एवं परियोजना संचालक आत्मा जिला सीधी को यह निर्देर्शित किया गया था कि जब तक वाहन संचालन हेतु चालक एवं ईंधन आदि के लिए समुचित एवं स्थाई वित्तीय व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक उक्त व्यवस्था बतौर सहयोग राशि अनुविभागीय कृषि अधिकारी सीधी को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए। लेकिन यह व्यवस्था भी कारगर सावित नहीं हुई। बजट की व्यवस्था के अभाव में लाखों की यह वैन खड़े-खड़े कबाड़ में तब्दील हो गई।
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जमीन के पोषक तत्वों की नहीं हो पा रही जानकारी-
स्थानीय स्तर पर मिट्टी परीक्षण की सुविधा नहीं होने से किसान अपने खेतों के मिट्टी का परीक्षण नहीं करा पा रहे हैं। जिससे उन्हें खेतों में पोषक तत्वों के कमी व अधिकता की जानकारी नहीं हो पाती। और वह उसका निदान भी नहीं कर पाते, लिहाजा उनका उत्पादन प्रभावित होता है।
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नहीं बन पाई बजट की व्यवस्था-
मिट्टी परीक्षण वैन के संचालन हेतु बजट की व्यवस्था न होने से वह संचालित नहीं हो पाई। वहीं विकासखंड स्तर पर केंद्र तो बन गए हैं पर कुछ आवश्यक उपकरण व स्टॉफ की व्यवस्था न होने से मिट्टी परीक्षण की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। जिला मुख्यालय में मिट्टी परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है।
संजय श्रीवास्तव, उपसंचालक कृषि
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