
Two donkeys sold for 1.40 lakhs in chitrkot
सतना. पौराणिक नगरी चित्रकूट में दीपावली के अवसर पर मंदाकिनी तट पर लगने वाले गधे मेले में सवा लाख रुपए तक गधों की बोली लगाई गई और हाथोंहाथ नौ हजार गधे अपने नए मालिकों के साथ गंतव्य को रवाना हो गए। दिवाली मेले में चित्रकूट में धर्म और आध्यात्म से जुड़ी गतिविधियों का बोलबाला रहता है। वहीं मेला भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय होता है। कई प्रदेशों से हजारों की संख्या में आए विभिन्न नस्लों के गधों की खरीद फरोख्त के बड़े केंद्र के रूप में विकसित इस मेले में विभिन्न कद काठियों के गधों को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटती है।
15 हजार गधे आए थे
दीपावली के दूसरे दिन मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाले ***** बाजार में इस बार करीब 15 हजार गधे आए। अलग-अलग कद काठी, रंग और नस्लों के इन गधों की कीमत दस हजार से लेकर 1.50 लाख रुपए तक रही। व्यापारियों ने अपने हिसाब से जांच परख कर इन जानवरों की बोली लगाई और खरीदारी की। बीते दो दिनों में करीब नौ हजार गधे बिक गए। इस मेले में व्यापारियों को करीब 20 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ।
दीपिका नाम का बिका था सबसे मंहगा
मेले में उत्तर प्रदेश के साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ से भी लोग अपने गधे और खच्चर लेकर आते हैं। गधों के नाम फि ल्मी एक्टर्स और नेताओं के पर भी रखे गए थे। बजरी और बादामी नाम के गधों पर सबसे अधिक बोली लगाई गई। इस जोड़े को 1 लाख 40 हजार रुपये में बेचा गया। बता दें कि पिछले साल दीपिका नाम का ***** सबसे महंगा बिका था, जिसकी कीमत 1.25 लाख थी।
औरंगजेब ने कराई थी मेले की शुरुआत
इस मेले की शुरुआत मुगल बादशाह औरंगजेब ने की थी। यह मेला दो दिनों तक चलता है। औरंगजेब ने चित्रकूट के इसी मेले से अपनी सेना के बेड़े में गधों और खच्चरों को शामिल किया था। इसलिए इस मेले का ऐतिहासिक महत्व भी है।
Published on:
06 Nov 2021 01:42 am
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