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तीन राज्यों को मिलाकर बनेगा देश का सबसे बड़ा चीता कॉरिडोर, जानें राजस्थान के कितने जिले होंगे शामिल

Cheetah Corridor: राजस्थान सहित तीन राज्यों के 17 जिलों को मिलाकर एक बड़ा चीता संरक्षण क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इस दिशा में केन्द्र सरकार ने काम भी शुरू कर दिया है।

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cheetah corridor rajasthan

file photo

Cheetah Corridor NTCA Report: सवाईमाधोपुर।केंद्र सरकार ने चीता प्रोजेक्ट के तहत मध्यप्रदेश के कूनो में बसाए गए चीतों के संरक्षण के लिए अगले 25 सालों की प्लानिंग की है। इसके तहत राजस्थान सहित तीन राज्यों के 17 जिलों को मिलाकर एक बड़ा चीता संरक्षण क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इस दिशा में केन्द्र सरकार ने काम भी शुरू कर दिया है।

चीता प्रोजेक्ट के दो साल पूरे होने के मौके पर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की ओर से जारी साल 2023-2024 की अपनी एनुअल रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। बता दें कि इस दिशा में कार्य की शुरुआत करते हुए फिलहाल कूनो नेशनल पार्क के अलावा मध्यप्रदेश के गांधी सागर में चीतों का नया घर लगभग तैयार हो चुका है। जल्द ही यहां नई तैयारियां भी देखने को मिलेंगी।

कूनो से शुरू होगा चीता कॉरिडोर

रिपोर्ट में चीता प्रोजेक्ट की अगले 25 सालों की प्लानिंग में बताया है कि चीता सिर्फ कूनो तक ही सीमित होकर नहीं रहेगा, बल्कि यह देश का सबसे बड़ा कॉरिडोर होगा। यह कॉरिडोर श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान के मुकंदरा टाइगर रिजर्व से होते हुए मंदसौर के गांधी सागर सेंचुरी तक फैला होगा। इस कॉरिडोर में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुल 17 जिलों का वन्य क्षेत्र शमिल होगा। मध्यप्रदेश की गांधी सागर सेंचुरी चीतों के लिए लगभग बनकर तैयार हो चुकी है। अब इसमें सिर्फ चीतों के आने का इंतजार है। बताया जा रहा है कि इस साल के अंतर तक गांधी सागर सेंचुरी में चीते पहुंच जाएंगे, यहां फिलहाल 8 चीते रखे जाएंगे।

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यह जिले होंगे शामिल

चीता संरक्षण क्षेत्र में मध्यप्रदेश के श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, मुरैना, अशोकनगर, गुना, नीमच, मंदसौर जिले शामिल होंगे। इसके अलावा राजस्थान के सवाई माधोपुर, बारां, कोटा, करौली झालावाड़, बूंदी और चित्तौडगढ़ जिलों का वन्य क्षेत्र इस कॉरिडोर का हिस्सा होगा। वहीं उत्तर प्रदेश के झांसी और ललितपुर का वन्य क्षेत्र में इस परिक्षेत्र में आएगा।

एमपी की सरहद लांघ कर राजस्थान तक आ चुके हैं चीते

दरअसल कूनो नेशनल पार्क में लाए गए चीतों ने ही कॉरिडोर की राह दिखाई है। कूनो के चीते कई बार यहां की सरहद लांघ कर राजस्थान की सीमा तक पहुंच चुके हैं। इसी तरह वे उत्तर प्रदेश की सीमा तक भी जा चुके हैं। बाद में इन्हें ट्रेंकुंलाइज कर वापस लाया गया था।

इनका कहना है...

एमपी के साथ राजस्थान में भी चीतों को बसाने की योजना पर काम किया जा रहा है। इस दिशा में राजस्थान और मध्यप्रदेश को मिलाकर एक कमेटी बनाई गई है। इस संबंध में रणथभौर में 30 नवंबर को एक बैठक भी होनी है।
-तपेशवर सिंह भाटी, अध्यक्ष, मुकुंदरा और पर्यावरण संरक्षण समिति, कोटा

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