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बिना गुणवत्ता परखे खरीदते रहे सामग्री

सवाईमाधोपुर. शहर की रोडलाइटों की मरम्मत में लगने वाली सामग्री बिना परखे ही लगाई जा रही हैं। ऐसे में फर्म द्वारा अगर खराब गुणवत्ता की सामग्री भी भेजी तो उस पर अंगुली उठाने वाला कोई नहीं है।

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नगरपरिषद क्षेत्र में लगी रोडलाइटों पर हर माह करीब सात-आठ लाख रुपए खर्च हो जाती है। यही कारण रहा कि पिछले साल करीब एक करोड़ की रोडलाइट सामग्री की खरीद हुई। इतनी रकम की सामग्री खरीद के बावजूद परिषद में उसकी गुणवत्ता परखने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में जो सामग्री फर्म द्वारा भेज दी जाती है, वहीं लगा दी जाती है। पार्षदों ने बताया कि मरम्मत होने के कुछ दिन बाद ही रोडलाइट की वापस खराब हो जाती। इससे सामग्री की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े होते हैं।

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को जिम्मा

परिषद में रोडलाइटों के रख-रखाव का जिम्मा एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को दिया हुआ है। पिछले सात-आठ साल से वही इस काम को देख रहा है। ऐसे में रोडलाइट मरम्मत की सामग्री गुणवत्तापूर्ण है या नहीं इसकी जांच कर पाना संभव नहीं है।

नहीं है बिजली निरीक्षक

नगरपरिषद होने के बावजूद यहां रोशनी व्यवस्था के लिए तकनीकी जानकार नहीं लगा हुआ है। निकायों में रोशनी व्यवस्था का जिम्मा बिजली निरीक्षकों के पास होता है। लेकिन स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक यहां बिजली निरीक्षक का पद ही स्वीकृत नहीं है।

जांच की जरूरत नहीं

- निविदा के समय ही यह तय होता है कि किस कंपनी की सामग्री आपूर्ति की जाएगी। ऐसे में दोबारा जांच कराने की जरूरत ही नहीं होती।

सौरभ जिंदल, आयुक्त,

नगरपरिषद, सवाईमाधोपुर

गुणवत्ता जांच के लिए भेजे नमूने

सवाईमाधोपुर नगरपरिषद में रोडलाइट सामग्री खरीद में राशि को लेकर ही नहीं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को गुणवत्ता में भी कमी होने का संदेह है। इसी के चलते अब रोडलाइट में लगाई गई केबल व अन्य सामग्री की गुणवत्ता परखी जाएगी। इसके लिए एसीबी ने सामग्री के नमूने लेकर जांच के लिए भिजवाए हैं। एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चन्दनदान बारहट ने बताया कि निविदा में जिस गुणवत्ता की सामग्री आपूर्ति पर ठेका दिया गया था। क्या उसी गुणवत्ता का सामान भेजा गया। इसकी भी जांच की जाएगी। इसके लिए नमूने जांच के लिए भिजवाए हैं।

दोहरे बिलों से हुआ संदेह

गंगापुरसिटी में एक ही क्रमांक के दो-दो बिल मिलने पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का वहां भी अनियमितता होने का संदेह हुआ है। एसीबी ने जब नगरपरिषद गंगापुरसिटी का रिकॉर्ड खंगाला तो पता चला कि कल्याण टे्रडिंग कंपनी द्वारा जो बिल पेश किए उनमें एक ही क्रमांक के दो-दो बिल सामने आए। दोनों बिलों की छपाई पर भी अलग-अलग नजर आती है। उनमें आपूर्ति की गई सामग्री भी अलग-अलग हैं। ऐसे में एसीबी का संदेह और पुख्ता हो गया। गंगापुरसिटी में भी रोडलाइट सामग्री खरीद को लेकर अनियमितता हुई हैं। सवाईमाधोपुर के बाद गंगापुरसिटी नगरपरिषद पर भी घोटाले की छाया पडऩे से जहां कई जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।