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घास मण्डी स्थित मोबाइल की दुकान में की चोरी,दुकान से पांच लाख के हैंडसेट पार

घास मण्डी स्थित मोबाइल की दुकान में की चोरी,दुकान से पांच लाख के हैंडसेट पार

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शहर में चोरों के लंबे हो रहे हाथ

गंगापुरसिटी . शहर में चोरों के लंबे हो रहे हाथ पुलिस के लिए चुनौती बन रहे हैं। जब उनका जी चाहा, वे चोरी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। शनिवार रात भी घास मण्डी स्थित एक मोबाइल की दुकान को चोरों ने निशाना बना लिया। यहां से करीब पांच लाख का सामान पार कर ले गए। पीडि़त ने मामले में कोतवाली थाने में प्राथमिकी सौंपी है।

पुलिस ने भी घटना स्थल का मौका मुआयना किया एवं शाम को एफएसएल टीम ने फिंगर प्रिंट लिए। पुलिस के अनुसार पीडि़त दुकानदार श्यामसिंह पुत्र रघुवीरसिंह राठौड़ ने बताया कि घास मण्डी में उसकी श्याम मोबाइल पोइंट के नाम से दुकान है। शनिवार शाम साढ़े सात बजे वह दुकान बंद कर रोज की तरह घर चला गया। सुबह पड़ोसियों ने सूचना दी कि तुम्हारी दुकान के ताले टूटे हुए हैं।

इस पर वह सुबह दुकान पर पहुंचा तो दुकान की शटर व ताले टूटे मिले। इसकी पुलिस को सूचना दी तथा अंदर देखा तो सामान गायब व कुछ बिखरा मिला। पीडि़त के अनुसार चोर स्मार्ट फोन 150, की-पेड फोन 30, रिपेयरिंग के फोन, चार्जर, बैट्रियां व पांच हजार की नकदी समेत करीब पांच लाख रुपए का सामान ले गए। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घटना स्थल का जायजा लिया एवं आस-पास के लोगो से जानकारी की। शाम को करीब छह बजे करौली से विशेषज्ञ टीम भी घटना स्थल पर पहुंच फिंगर प्रिंट आदि लिए। पुलिस ने मामला दर्ज जांच शुरू की है।

मोहल्ले में पहली चोरी
घास मण्डी में जहां मोबाइल की दुकान में चोरी हुई है, वहां के लोगों व पीडि़त के अनुसार उस मोहल्ले में यह पहली चोरी है। चोरी की वारदात का पता चलते ही घटना स्थल पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। साथ ही वारदात को लेकर नाराजगी जताई गई।

सुरक्षा के नहीं थे प्रबंध
जिस दुकान में चोरी की वारदात को चोरों ने अंजाम दिया, वहां सुरक्षा के कोई प्रबंध नजर नहीं आए। कोतवाली थाना प्रभारी ने बताया कि उन्होंने करीब पांच-छह दिन पहले मोबाइल एसोसिएशन व अन्य दुकानदारों की बैठक ली थी। उस दौरान सभी को अपनी-अपनी दुकानों पर सुरक्षा प्रबंध पुख्ता करने की हिदायत दी।

इसके लिए सीसीटीवी कैमरे, सिक्योरिटी सेंसर लगाने आदि के निर्देश दिए थे। जिस दुकान में चोरों ने वारदात को अंजाम दिया, वहां सीसीटीवी कैमरे बंद है। सिक्योरिटी सेंसर भी नहीं लगा हुआ था। सीसीटीवी कैमरे या सिक्योरिटी सेंसर लगा होता तो आरोपितों के फुटेज खंगाले जा सकते थे।