
एक मामूली सी छींक रोक देती है आपके शरीर का ये अंग, गलत समय पर छींकने से...
नई दिल्ली : छींक,शरीर की एक स्वाभाविक क्रिया है। जिसके कई कारण हो सकते हैं। जब छोटे कण नाक में चले जाते हैं, जिससे एलर्जी हो जाती है। यह एलर्जी धूल, धुंआ, अचानक तेज रौशनी का पड़ना, तापमान में गिरावट, ठंडी हवा के झोंके, तेज गंध, वर्षा, पशुओं की महक, पराग कण के कारण हो सकता है। छिंकने के दौरान हमारा पेट ,छाती,फेफडों,गले और आंखों पर ही नहीं बल्कि धड़कनों पर भी इसका असर पड़ता है। कभी-कभी एक छींक के बाद कई छींके लगातार आती रहती हैं। तो चलिए, आज आपको बताते हैं छींक क्यों आती है और छींक रोकने से शरीर को क्या हानि हो सकती है।
छिंक आने से क्या होता है
छींक आना एक शारीरिक प्रक्रिया है जबकि इसे कई तरह के अच्छे और बुरे संकेतों से जोड़कर देखा जाता रहा है जैसे कि ग़लत समय पर छींक देने से कुछ बुरा हो सकता है। अगर आप भी ऐसा ही मानते हैं और इस वजह से कई बार अपनी छींक को आने से रोक भी लेते हैं,ऐसा करना बेहद खतरनाक हो सकता है। छींक आना एक सहज प्रक्रिया है। आपको बता दें कि जैसे ही ये कण शरीर में प्रवेश करते हैं, वैसे ही शरीर उसे निकालने के लिए मुंह और नाक के रास्ते बहुत तेजी से हवा के जरिए बाहर फेंकता है। जिसके साथ ही वह पदार्थ भी बाहर निकल जाता है।
छींकते समय रूक जाती है दिल की धड़कन
छींक आने की प्रक्रिया में शरीर के कितने अंग एक साथ सक्रिय होकर काम करते हैं, ये जानकर आपको हैरानी ज़रूर होगी क्योंकि इस छोटी सी छींक में पेट,छाती, डायफ़्राम, गला और आँखें, ये सभी अंग मिलकर काम करते हैं और उस अनचाहे कण को छींक के ज़रिये शरीर से बाहर निकाल देते हैं। ये जानकर भी आप चौंक जायेंगे कि एक छींक की गति 100 मील/घंटा होती है और इसके साथ करीब 1 लाख कीटाणु बाहर हवा में आते हैं। जब आप नींद में होते हैं तब आपको छींक नहीं आती है ना, उसका कारण ये है कि सोते समय छींक से सम्बंधित नसें आराम की स्थिति में रहती हैं। छींकते वक्त हमारे दिल की धड़कन 1 मिली सेकंड के लिए क्यों रुक जाती है।
Published on:
02 Apr 2019 12:52 pm
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