
Whale
गहरे नीले सागर में जहाँ इंसानों की आवाज़ नहीं पहुंचती, वहॉं एक ऐसी भाषा गूंज रही है जो अब तक रहस्य थी। स्पर्म व्हेल्स के बीच होने वाली क्लिक की आवाजों को एआई ने अब डिकोड कर लिया है और वैज्ञानिकों को यह देखकर हैरानी हुई कि यह भाषा इंसानी भाषा की तरह ही है। प्रोजेक्ट सीईटीआई के वैज्ञानिकों ने हाल ही में रिसर्च के दौरान पाया कि व्हेल्स 'कोडास' नामक पैटर्न में बात करती हैं। ये क्लिक की शृंखलाएं हैं, जिनमें दो स्वर जैसे ध्वनि प्रकार पाए गए, 'आ’ और ‘ई’।
ये ध्वनियाँ बेतरतीब नहीं थीं, बल्कि हर क्लिक की लंबाई, पिच और ताल एक सोची-समझी संरचना का हिस्सा थी, जैसे हम शब्दों और वाक्यों को बनाते हैं। अगर एआई एक दिन इस भाषा का पूरा अनुवाद कर सके, तो इंसान और समुद्र की दुनिया के बीच संवाद का वो पुल बन जाएगा जिसकी कल्पना कभी मिथकों में की जाती थी।
वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि व्हेल्स यह भाषा पारिवारिक समूहों में इस्तेमाल करती हैं, जैसे मां और बच्चे के बीच संवाद, भोजन की तलाश के दौरान समन्वय या समूह में पहचान बनाए रखना। कैरेबियन सागर में वैज्ञानिकों ने 15 स्पर्म व्हेल्स पर डीटैग नामक छोटे सक्शन-कप माइक्रोफोन लगाए, जिससे 2014 से 2018 के बीच करीब 4,000 'कोडास' रिकॉर्ड की गईं। शुरुआत में ये क्लिक बहुत धीमी लगीं, लेकिन जब उन्हें तेज़ किया गया तो उनमें लय, ठहराव और दोहराव के ऐसे पैटर्न मिले जो किसी संगीत रचना की तरह सुनाई देते थे।
वैज्ञानिकों ने पाया कि व्हेल्स के पास भी 'भाषाई नियम' हैं। ‘आ’ वाले कोडास लंबी लय में गूंजते हैं, जबकि ‘ई’ वाले छोटे और लंबे दोनों रूपों में आते हैं, जैसे मनुष्यों की भाषाओं में शब्दों का अर्थ स्वर की लंबाई से बदल जाता है। भाषाविद् गैश्पर बेगुश का कहना है कि यह हमारे जैसी व्याकरण, हमारे जैसे स्वर लग रहे हैं, बस एक अलग दुनिया के भीतर।
Published on:
14 Nov 2025 10:02 am
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