
नई दिल्ली: खाने-पीने की किसी भी चीज में मिठास घोलने के लिए चीनी अहम रोल निभाती है। गन्नों की मदद से चीनी ( sugar ) को मिलों में तैयार किया जाता है। ये बात तो लगभग सभी को पता है, लेकिन कोई आपको कहें कि चीनी अंतरिक्ष में भी बनती है तो फिर? चौंकिए मत क्योंकि वैज्ञानिकों ने ऐसा दावा किया है।
जापान की तोहोकू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर योशिहिरो फुरुकावा और उनके सहकर्मियों ने इस रिसर्च को किया है। इसमें पृथ्वी के बाहर से आए नमूनों के परीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों को राइबोज और चीनी के दूसरे कण मिल हैं। उनका मानना है कि इससे ऐसे संत मिल रहे हैं कि जैविक चीनी अंतरिक्ष में बनी होगी। अमीनो एसिड और दूसरे जैविक मूलभूत कणों का परीक्षण किया है। इन लोगों ने कणों से बने 3 कार्बनमय धूमकेतुओं का अध्ययन किया, जिसमें मुर्चिसन धूमकेतु भी है जो ऑस्ट्रेलिया में आ कर गिरा था। राइबोज आरएनए यानी राइबोन्यूक्लिक एसिड में मौजूद बुनियादी घटकों में से एक है जो सभी जीवित कोशिकाओं में पाया जाता है। जैविक रूप से अहम चीनी के दूसरे कणों के साथ धूमकेतुओं पर राइबोज के कण का भी पता चला है।
आइसोटोप का विश्लेषण करने से पता चलता है कि चीनी के ये कण पृथ्वी के बाहर ही बने हैं। पीएनएएस का कहना है कि धूमकेतुओं के पृथ्वी पर आने की वजह से यह वहां नहीं पहुंचे हैं। पीएनएएस ने कहा कि 'प्रयोगशाला में प्रायोगिक सिम्यूलेशन का इस्तेमाल कर अंतरिक्ष की उन परिस्थितियों का आकलन करने के दौरान वैज्ञानिकों ने नतीजा निकाला कि इस तरह की चीनी के कणों के पीछे वजह फॉर्मोज प्रतिक्रिया है।' इस खनिज की संरचना से पता चलता है कि चीनी का निर्माण या तो छुद्रग्रहों के बनने के दौरान या फिर उसके तुरंत बाद ही हो गया था जिनसे इन धूमकेतुओं का निर्माण हुआ। 50 साल से ज्यादा पहले भी रिसर्चरों ने ग्लूकोज और अराबिनोज जैसे जैविक चीनी के कणों को कार्बनमय धूमकेतुओं में खोजा था, लेकिन तब ये साबित नहीं हो सका कि वे वास्तव में पृथ्वी के बाहर के थे या फि नहीं।
Published on:
20 Nov 2019 12:30 pm
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