पृथ्वी के घूर्णन का इतिहास देखें तो यह निरंतर धीमा हुआ है। अध्ययन के मुताबिक लगभग 1.4 अरब वर्ष पहले 18 घंटे और 41 मिनट का एक दिन होता था। डायनासोर के युग में एक दिन सिर्फ 23 घंटे का था। हालांकि यह प्रक्रिया काफी धीमी है। मौजूदा दिन की अवधि कांस्य युग के अंत की तुलना में 0.047 सेकंड बढ़ा है। हालांकि तरल बाहरी कोर के घूमने के कारण पृथ्वी की गति में परिवर्तन संंभव है। नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण 2028 या 2029 लीप सेकंड को हटाने की आवश्यकता में देरी होगी।
लेखक एग्न्यू ने बताया कि इससे पहले कभी भी नकारात्मक लीप सेकंड नहीं हुआ। लीप सेकंड का समायोजन इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि कई महत्वपूर्ण प्रणालियां सटीक टाइमकीपिंग पर निर्भर होती हैं। 1972 के बाद वैज्ञानिकों ने घड़ी में अब तक 27 लीप सेकंड जोड़े हैं। अब देखना होगा कि पृथ्वी की गति से पैदा हुई चिंताओं के चलते लीप सेकंड कैसे कम किया जाएगा, क्योंकि अभी वैज्ञानिकों ने इसके असर का अध्ययन नहीं किया है। हालांकि नवंबर, 2022 में एक वैश्विक सम्मेलन में प्रतिनिधियों ने 2035 तक लीप सेकंड को खत्म करने का फैसला किया था।