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‘इलेक्ट्रॉनिक मिट्टी’ तैयार, 15 दिन में दोगुनी फसल का दावा

नई संभावना : स्वीडन की लिंकोपिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कारनामा

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‘इलेक्ट्रॉनिक मिट्टी’ तैयार, 15 दिन में दोगुनी फसल का दावा

‘इलेक्ट्रॉनिक मिट्टी’ तैयार, 15 दिन में दोगुनी फसल का दावा

स्टॉकहोम. स्वीडन के वैज्ञानिकों ने विद्युत प्रवाहकीय (इलेक्ट्रिकली कंडक्टिव) ऐसी ‘मिट्टी’ विकसित की है, जो प्राकृतिक मिट्टी से ज्यादा उपजाऊ है। उनका दावा है कि इस मिट्टी में जौ के पौधे 15 दिन में 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ सकते हैं। खेती की इस विधि को ‘हाइड्रोपोनिक्स’ के तौर पर जाना जाता है। इसमें ऐसी जड़ प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें खेती के नए ‘सब्सट्रेट’ (ऐसा पदार्थ या सतह, जिस पर कोई पौधा बढ़ता है) को विद्युत से उत्प्रेरित किया जाता है।

स्वीडन की लिंकोपिंग यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर एलेनी स्तावरिनिडौ की अगुवाई में वैज्ञानिकों की टीम ने ‘हाइड्रोपोनिक्स’ पर शोध किया। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक हाइड्रोपोनिक्स की मदद से शहरों के बहुत नियंत्रित परिवेश में भी फसल उगाई जा सकती है। टीम ने हाइड्रोपोनिक खेती के अनुरूप जो विद्युत प्रवाहकीय खेती सब्सट्रेट विकसित किया, उसे ई-सॉइल नाम दिया गया है।

हाइड्रोपोनिक खेती में मिट्टी के बगैर फसल

‘हाइड्रोपोनिक’ खेती में पौधे मिट्टी के बिना उगते हैं। उन्हें सिर्फ पानी, पोषक तत्वों और ऐसे सब्सट्रेट की जरूरत होती है, जिससे उनकी जड़ें जुड़ सकें। शोध के मुख्य लेखक स्तावरिनिडौ का कहना है कि दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ रही है। जलवायु परिवर्तन भी हो रहा है। स्पष्ट है कि हम खेती के पहले से मौजूद तरीकों से पृथ्वी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं होंगे।

जौ की खेती के लिए फायदेमंद

अब तक अनाज को चारे की तरह हाइड्रोपोनिक्स में नहीं उगाया जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि भविष्य में यह विधि अनाज के लिए भी आजमाई जा सकती है। खासकर जौ की खेती के लिए यह फायदेमंद है। शोध के दौरान पाया गया कि विद्युत उत्प्रेरक से जौ के पौधों की विकास दर बेहतर होती है।