नाखून चाबने की आदत से कर लें तौबा, इस बीमारी का शिकार होने के बाद सीधा पड़ता है दिमाग रह असर नेशनल जियॉग्रफिक सोसाइटी (एनजीएस) के वैज्ञानिकों की टीम ने एक केंद्र एवरेस्ट के बालकोनी क्षेत्र में 8,430 मीटर की ऊंचाई और दूसरा साउथ कोल में 7,945 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया है। ये दोनों ही स्वचालित मौसम केंद्र हैं। यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड (
Automatic )हैं। ऐसा करने का मकसद पर्वतारोहियों, आम जनता और शोध करने वालों को मौसम की सटीक जानकारी और वहां की परिस्थितियों के बारे में बताना है।
ऐसी जगह जहां दिन में तीन बार होता है सूर्योदय, जानें कौन सा है वह खास स्थान इन जगहों पर बने ये मौसम स्टेशनइसके साथ ही टीम द्वारा 4 और मौसम स्टेशन बनाए जा रहे हैं। साउथ कोल (7,945 m), फोरतसी (3,810 m), एवरेस्ट बेस कैंप (5,315 m) और एक कैंप I (6,464 m) की ऊंचाई पर बनाया गया है। सभी मौसम स्टेशन अपने क्षेत्र के तापमान (
temprature ), आर्द्रता, हवा का दबाव, हवा की गति, और हवा की दिशा आदि की जानकारी देंगे।
कैसे हैं ये केंद्र
एनजीएस की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘बालकनी मौसम स्टेशन अपनी तरह का पहला ऐसा स्टेशन है जिसे 8,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया। इसके साथ ही यह पहला मौसम स्टेशन होगा जो प्रकृति में होने वाले शुरुआती परिवर्तनों को भी महसूस कर सकने में सक्षम होगा और वक्त के साथ मौसम परिस्थितियों के बदलावों को सूक्ष्मता से देखा जा सकेगा।’
हर हफ्ते एक क्रेडिट कार्ड के बराबर प्लास्टिक खा जाता है इंसान, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा इस तरह से काम करेंगे मौसम केंद्र दरअसल, माउंट एवरेस्ट पर कठिन हालात होने के कारण हर साल कई मौतें होती हैं और लोग बेरोजगार हो जाते थे। मौसम स्टेशनों के होने से अब माउंट एवरेस्ट के मौसम से जुड़ी पल-पल की जानकारी मिलने में मदद मिलेगी। जिससे लोगों को फायदा होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि वैज्ञानिकों की टीम ने मौसम स्टेशन शिखर के पास लगाया है। ऐसा इसलिए क्योंकि टीम के सदस्यों के लिए पर्वतारोहियों के पीछे लाइन में लगकर ऊपर तक जाना किसी जोखिम से कम नहीं था।
ऐसे मिलेगी जानकारियां वैज्ञानिक पॉल मायेवस्की के अनुसार- स्थानीय लोगों को यह जलवायु में परिवर्तन कैसे प्रभावित कर रहा है। उन्होंने बताया कि सैंपल के विश्लेषण से समुद्र तल से 6,500 मीटर ऊपर किसी भी क्षेत्र से दुनिया को पहली बार जलवायु की जानकारी मिलेगी। साथ ही ये भी कहा कि “बेहद कम समय में ही एवरेस्ट के आस-पास के गल्शियर काफी छोटे हो गए हैं। अगर आप जलवायु के आंकड़े देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि बीते 20 सालों में यहां ऊंचाई के आधार पर तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है।”
चीन में 5g टेक्नोलॉजी से डॉक्टरों ने बिना हाथ लगाए की सर्जरी , जानें कैसे वैज्ञानिकों के अनुसार- इनकी मदद से सही समय पर मौसम की जानकारी मिल सकेगी। इसके लिए ग्लेशियर से वैज्ञानिकों ने सैंपल भी लिए हैं, जिनपर अगले 6 महीने तक अध्ययन किया जाएगा। साथ ही उनका यह भी कहना है कि ये विश्लेषण आने वाले समय में जलवायु संकट से निपटने के लिए वैश्विक निर्णय लेने को प्रभावित कर सकता है।