
माइक्रोवेव के आकार का यह यान जिन ग्रहों और क्षुद्रग्रहों पर उतरेगा वहां मौजूद पानी को भाप में बदलकर सुदूर अंतरिक्ष मेंग्रहों की खोज कर सकेगा। इस प्रकार यह लगातार खुद को एक से दूसरी आकाश गंगा तक अनिश्चित संख्या पर खोजी मिशन पर लगातार आगे बढ़ाता रहेगा।
यूसीएफ के प्रमुख वैज्ञानिक औरी इस यान के जनक फिल मेजगर का कहना है कि इस यान की तकनीक का इस्तेमाल कर हम संभावित रूप से चंद्रमा, सेरेस, यूरोपा, टाइटन, प्लूटो, बुध ग्रह के धु्रवों और क्षुद्रग्रहों पर खोजी अभियान के लिए इस तकनीक का उपयोग कर सकते हैं। यह यान ऐसे किसी भी ग्रह या एस्टेरोइड्स से ईंधन एकत्र कर सकता है जहां पानी और पर्याप्त रूप से गुरुत्त्वाकर्षण का कम दबाव है। मेटाजर ने कहा कि यह एक ऐसा आत्मनिर्भर अंतरिक्ष यान है जो लगातार सुदूर ब्रह्मांड में खोजी अभियान जारी रख सकता है।
मेट्जग़र और उनके सहयोगियों ने इस यान का नाम वाइन (वल्र्ड इज नॉट इनफ) रखा है। इस यान के पहले प्रोटोटाइप ने कैलीफोर्निया में एक क्षुद्रग्रह जैसी सतह पर अपना व्यावहारिक परीक्षण मिशन पूरा किया है। इसने इसकी सतह में एक कॉम्पैक्ट ड्रिलिंग उपकरण का उपयोग कर इस नकली धूमकेतू की सतह से पानी निकालेन के लिए सतह खोदी और इस पानी को रॉकेट के ईंधन में बदल दिया। भाप से चलने वाले थ्रस्टरों के सेट का उपयोग करके खुद को हवा में लॉन्च किया।
इस यान की तकनीक जितनी सुनने में सरल लग रही है दरअसल उतनी है नहीं। इस यान के प्रोटोटाइप को परीक्षण लायक बनाने में ही मेट्जगर को तीन साल का समय लग गया। उन्होंने इसके लिए नए कम्प्यूटर प्रोग्राम और नई गणनाएं कीं ताकि यह गुरुत्त्वाकषर्ण का सामना कर सके। इसमें लगे सौर ऊर्जा पैनल इसे आपातकालीन परिस्ििथतियों में ऊर्जा देने के लिए बनाए गए हैं।
इस यान के प्रोटोटाइप का सफलता पूर्वक परीक्षण इसे वास्तविकता के और करीब ले आया है। लेकिन अब भी इसे अंतरिक्ष के जटिल वातावरण में परखने में एक लंबा समय है। नासा ने इस प्रोजेक्ट के महत्त्व को समझते हुए इसमें रुचि दिखाई है। उसने प्रोजेक्ट के लिए पैसा देने की पेशकश भी की है।
Published on:
11 Nov 2019 09:49 pm
बड़ी खबरें
View Allविज्ञान और टेक्नोलॉजी
ट्रेंडिंग
