22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

वैज्ञानिक भाप से चलने वाला अंतरिक्ष बना रहे ताकि ईंधन बचा सकें

दुनिया का पहला अंतरिक्ष यान बनने के आधी सदी बाद वैज्ञानिक अंतरिक्ष यात्रा के अगले चरण में प्रवेश करने जा रहे हैं। सेंट्रल फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कैलीफोर्निया स्थित एक निजी अंतरिक्ष और खनन टेक कंपनी हनीबी रोबोटिक्स के साथ मिलकर भाप से चलने वाला एक छोटा अंतरिक्ष यान बनाया है। इतना ही नहीं यह यान अंतरिक्ष में जिन क्षुद्रग्रह, ग्रहों और चंद्रमा पर जाएगा वहां के वातावरण से ईंधन चूसने में भी सक्षम है।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Mohmad Imran

Nov 11, 2019

माइक्रोवेव के आकार का यह यान जिन ग्रहों और क्षुद्रग्रहों पर उतरेगा वहां मौजूद पानी को भाप में बदलकर सुदूर अंतरिक्ष मेंग्रहों की खोज कर सकेगा। इस प्रकार यह लगातार खुद को एक से दूसरी आकाश गंगा तक अनिश्चित संख्या पर खोजी मिशन पर लगातार आगे बढ़ाता रहेगा।
यूसीएफ के प्रमुख वैज्ञानिक औरी इस यान के जनक फिल मेजगर का कहना है कि इस यान की तकनीक का इस्तेमाल कर हम संभावित रूप से चंद्रमा, सेरेस, यूरोपा, टाइटन, प्लूटो, बुध ग्रह के धु्रवों और क्षुद्रग्रहों पर खोजी अभियान के लिए इस तकनीक का उपयोग कर सकते हैं। यह यान ऐसे किसी भी ग्रह या एस्टेरोइड्स से ईंधन एकत्र कर सकता है जहां पानी और पर्याप्त रूप से गुरुत्त्वाकर्षण का कम दबाव है। मेटाजर ने कहा कि यह एक ऐसा आत्मनिर्भर अंतरिक्ष यान है जो लगातार सुदूर ब्रह्मांड में खोजी अभियान जारी रख सकता है।


मेट्जग़र और उनके सहयोगियों ने इस यान का नाम वाइन (वल्र्ड इज नॉट इनफ) रखा है। इस यान के पहले प्रोटोटाइप ने कैलीफोर्निया में एक क्षुद्रग्रह जैसी सतह पर अपना व्यावहारिक परीक्षण मिशन पूरा किया है। इसने इसकी सतह में एक कॉम्पैक्ट ड्रिलिंग उपकरण का उपयोग कर इस नकली धूमकेतू की सतह से पानी निकालेन के लिए सतह खोदी और इस पानी को रॉकेट के ईंधन में बदल दिया। भाप से चलने वाले थ्रस्टरों के सेट का उपयोग करके खुद को हवा में लॉन्च किया।


इस यान की तकनीक जितनी सुनने में सरल लग रही है दरअसल उतनी है नहीं। इस यान के प्रोटोटाइप को परीक्षण लायक बनाने में ही मेट्जगर को तीन साल का समय लग गया। उन्होंने इसके लिए नए कम्प्यूटर प्रोग्राम और नई गणनाएं कीं ताकि यह गुरुत्त्वाकषर्ण का सामना कर सके। इसमें लगे सौर ऊर्जा पैनल इसे आपातकालीन परिस्ििथतियों में ऊर्जा देने के लिए बनाए गए हैं।


इस यान के प्रोटोटाइप का सफलता पूर्वक परीक्षण इसे वास्तविकता के और करीब ले आया है। लेकिन अब भी इसे अंतरिक्ष के जटिल वातावरण में परखने में एक लंबा समय है। नासा ने इस प्रोजेक्ट के महत्त्व को समझते हुए इसमें रुचि दिखाई है। उसने प्रोजेक्ट के लिए पैसा देने की पेशकश भी की है।