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याददाश्त सुधारने को वैज्ञानिकों ने विकसित किया आनुवांशिक रूप से संशोधित प्रोटीन

शोध : कई न्यूरोसाइकिएट्रिक रोगों के इलाज का खुलेगा रास्ता  

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याददाश्त सुधारने को वैज्ञानिकों ने विकसित किया आनुवांशिक रूप से संशोधित प्रोटीन

याददाश्त सुधारने को वैज्ञानिकों ने विकसित किया आनुवांशिक रूप से संशोधित प्रोटीन

रोम (इटली). बढ़ती उम्र या बीमारियों के कारण लोगों की याददाश्त कमजोर हो जाती है। इटली की कैथोलिक यूनिवर्सिटी और फोडाजियोन पोलिक्लिनिको यूनिवर्सिटारियो ए. जेमेली के वैज्ञानिकों ने याददाश्त बढ़ाने वाला प्रोटीन विकसित किया है। आनुवांशिक रूप से संशोधित प्रोटीन (लिम्क-1) को रैपामाइसिन के साथ सक्रिय किया जाता है। वैज्ञानिकों की इस सफलता से कई न्यूरोसाइकिएट्रिक रोगों का इलाज किया जा सकेगा। साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक लिम्क-1 प्रोटीन न्यूरॉन्स में संरचनात्मक परिवर्तनों को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी के कारण तंत्रिका नेटवर्क में सूचना संचरण बढ़ता है। इससे सीखने और स्मृति की प्रक्रियाएं आगे बढ़ती हैं। कैथोलिक विश्विद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टियन रिपोली कहते हैं कि इस सफलता की कुंजी आनुवंशिकी और रसायन विज्ञान को जोडऩा है। इससे जीवन प्रत्याशा बढ़ाई जा सकती है। मस्तिष्क पर इसके लाभकारी प्रभाव पड़ते हैं।

इस तरह फायदा

अध्ययन के वरिष्ठ लेखक प्रो. क्लाउडियो ग्रासी का कहना है कि मेमोरी जटिल प्रक्रिया है। इसमें सिनैप्स में संशोधन शामिल होता है। लिम्क-1 को नियंत्रित कर सिनैप्टिक प्लास्टिसिटी को बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे याददाश्त में बढ़ोतरी की जा सकती है।

चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति की संभावना

अध्ययन के अन्य लेखक क्रिस्टियन रिपोली के मुताबिक आनुवांशिक प्रोटीन से चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। इससे अल्जाइमर जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों का उपचार किया जा सकता है। इस पर अभी और अध्ययन की जरूरत है।