एक गलत धारणा है उल्लू अपने सिर को 360 डिग्री तक घुमा सकता है। दरअसल कोई भी पक्षी अपनी गर्दन विभिन्न दिशा में केवल 135 डिग्री ही घुमाने में सक्षम है।
नई दिल्ली: मजाक में भले ही आप लोगों को उल्लू कह देते हों लेकिन सच्चाई ये है कि उल्लू एक बेहद समझदार रेप्टर कहलाते हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि उल्लुओं में सुपर-ट्यून बुद्धि होती है जो दुनिया में उनकी मदद करती है।
यह एक गलत धारणा है उल्लू अपने सिर को 360 डिग्री तक घुमा सकता है। दरअसल कोई भी पक्षी अपनी गर्दन विभिन्न दिशा में केवल 135 डिग्री ही घुमाने में सक्षम है।
उल्लू अपने शिकार को बेहद दूर से भी देख पाता हैृ, दरअसल उसकी आंखें गोल नहीं होतीं, लेकिन उनमें जुडी नलियां हैं जो बेहतर गहराई की धारणा प्रदान करती हैं और उन्हें अत्यधिक दूरी से शिकार देखने की अनुमति देती हैं, लेकिन उनकी पास की नजर स्पष्ट नहीं होती है। उल्लू की तीन पलकें होती है। पहली पलक को वो झपकाने के लिए, दूसरी पलक को नींद के लिए और तीसरी पलक को उल्लू आंख साफ करने के लिए इस्तेमाल करता है।
उल्लू के एक गुट को संसद ह हा जाता है, यानी एक जगह बहुत सारे उल्लू जमा हो जाएं तो उस मौके को संसद कहा जाता है। हालांकि इस गुट का किसी देश की संसद से कोई लेना देना नहीं है। उल्लू उड़ने के दौरान किसी भी तरह का शोर नहीं करते, यहां तक कि आप कई माइक्रोफोन की मदद भी लेंगे तो उनका शोर सुनाई नहीं देगा।
आपको शायद जानकारी न हो लेकिन कौआ उल्लू का जन्मजात दुश्मन है। जैसे ही ये एक दूसरे के सामने आते हैं, बगैर कुछ किए भी ये एक दूसरे पर हमला बोल देते हैं और अंत तक लड़ते रहते हैं।
पूरी दुनिया में एकमात्र उल्लू ही ऐसा जीव है जिसे रात से दिन की अपेक्षा बेहतर दिखता है। उल्लू को ज्ञान का प्रतीक इसलिए कहा गया क्योंकि पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र है कि यूनानियों में बुद्धि की देवी, एथेन के बारे में कहा जाता है कि वह उल्लू का रूप धरकर पृथ्वी पर आई हैं।
धरती पर उल्लुओं की २०० से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है। लेकिन अंटार्कटिका में उल्लू नहीं पाए जाते। पक्षियों की पूरी प्रजाति में उल्लू ही एकमात्र पक्षी है जो नीले रंग को पहचान सकता है। उल्लू की दृष्टि इतनी पैनी है कि केवल वो ही किसी वस्तु को ३डी एंगल में देख सकता है। यानी वो किसी वस्तु की लंबाई, चौढाई और ऊंचाई तीनों को देख सकता है। ये विशेषता धरती पर केवल उल्लुओं के पास नहीं है। उल्लुओं के दांत नहीं होते, वे अपने शिकार को चबाकर नहीं खाते बल्कि निगल जाते हैं।