
इन सैटेलाइटों की वजह से फॉनी तुफान का पहले से लगा था सटीक अनुमान, बचा ली गई लाखों लोगों की जान
नई दिल्ली।भारत ( india ) तटीय क्षेत्रों में अपना कहर बरपा रहे 'फानी' तूफान fani stron ) के आने का संकेत वैज्ञानिक ( scientist )को पहले से ही मिल चुका था। संकेत मिलते ही लोगों को इससे बचाने के लिए कड़े इंतजाम शुरू कर दिए गए थे। बता दें कि वैज्ञानिकों को 'फानी' तूफ़ान के आने का संकेत भारतीय सैटेलाइट ( india Satellite ) के जारिए मिल गया था। ऐसे में इस तूफान के कहर से लोगों को बचाने के लिए सरकार और वैज्ञानिकों की टीम ने पहले से ही काम शुरू कर दिया था। साथ ही बचाव कार्य के लिए जो इंतजाम किए गए थे वो सफल रहे।
समुद्र में पैदा हो रहा था निम्न दबाव
दरअसल तूफ़ान के आने से हफ्ते भर पहले से ही मौसम विभाग ( monsoon department )के वैज्ञानिकों ने दक्षिणी हिंद महासागर ( hind mahasagar ) में हलचल दर्ज की थी। यह हलचल समुद्र में निम्न दबाव की स्थिति उतपन्न कर रहा था। जिसके लिए 5 भारतीय सैटेलाइटों ने उस दबाव क्षेत्र पर लगातार नजर रखना शुरु कर दिया। जो 'फानी' चक्रवाती तूफान का रूप ले रहा था।
भारतीय सैटेलाइट दे रहा था पल-पल सूचना
ये तूफ़ान भयानक रूप लेता जा रहा था। वहीं दूसरी ओर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) भारतीय सैटलाइट की पल-पल की जानकारी भेज रहा था। यह जानकारी ग्राउंड स्टेशन पर भेजी जा रही थी। जिसकी मदद से 'फानी' तूफ़ान को हर 15 मिनट में ट्रैक किया जा रहा था। साथ ही इसके हर मूवमेंट के बारे में तथ्यों के साथ अनुमान लगाना संभवव हो पा रहा था। इस वजह से सैकड़ों लोगों की जान बचाने में सफलता मिल पाई।
इन सैटेलाइटों ने 'फानी' से लड़ने में निभाई अहम भूमिका
बता दें कि 'फानी' तूफ़ान के बारे में जानकारी इकट्ठा करने और अध्ययन करने में भारत के मौसम विभाग को Insat-3D, Insat-3DR, Scatsat-1, Oceansat-2 और मेघा ट्रॉपिक्स सैटेलाइटों से काफी मदद मिली। इससे मिली जानकारी से 'फानी' की तीव्रता, लोकेशनव और इर्द-गिर्द फैले बादलों का पताया लगाया जा सका।
'फानी' के केंद्र के 1,000 किलोमीटर के दायरे में बादल छाए हुए थे, लेकिन बारिश वाले बादल सिर्फ 100 से 200 किलोमीटर के दायरे में ही थे। बाकी बादल करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर थे। हालाकिं इन सब में भारतीय सैटेलाइटों ने अपनी अहम भूमिका निभाई। आईएमडी (IMD) के डायरेक्टर जनरल के. जे. रमेश ने बताया कि सैटेलाइटों का ने तूफ़ान पूर्वानुमान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खासकर तूफान के दौरान सैटेलाइटों से मिले डाटा से एक्यूरेट जानकारी पाने में मदद मिली।
बचाई जा सकी लाखों लोगों की जान
भारत सरकार ने मौसम विभाग से मिली जानकारी से 'फानी' तूफ़ान के कहर बरपाने का अंदेशा पता लगते ही लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों में भेज दिया गया था। आईएमडी ( IMD) के मुताबिक भारतीय सैटेलाइटों से मिले एक्यूरेट डाटा से पता लगाया जा सका कि यह किस जगह पर रुकेगा, इस वजह से ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 11.5 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेज दिया गया। साथ ही Scatsat-1 से भेजे गए डेटा से चक्रवाती तूफान के केंद्र पर नजर रखी गई, वहीं Oceansat-2 समुद्री सतह, हवा की गति और दिशा के बारे में डेटा भेज रहा था।
Updated on:
05 May 2019 01:53 pm
Published on:
05 May 2019 01:13 pm
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