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पत्थरों से कागज बनाकर लाखों पेड़ बचा रहे ये दो युवा, सालाना 25 हज़ार किलो कार्बन भी कम कर रहे

ग्लोबल फारेस्ट रिसोर्स असेसमेंट के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में औद्योगिक उपयोग के लिए प्रतिदिन 80 हजार से 1 लाख 60 हजार पेड़ काटे जाते हैं। इनमें से ज्यादातर पेड़ों का उपयोग कागज उद्योग में किया जाता है। वनों की निरंतर कटाई का दुष्प्रभाव वैश्विक जलवायु पैटर्न में आ रहे बदलाव के रूप में हमारे सामने है।

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जयपुर

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Mohmad Imran

Sep 20, 2020

पत्थरों से कागज बनाकर लाखों पेड़ बचा रहे ये दो युवा, सालाना 25 हज़ार किलो कार्बन भी कम कर रहे

पत्थरों से कागज बनाकर लाखों पेड़ बचा रहे ये दो युवा, सालाना 25 हज़ार किलो कार्बन भी कम कर रहे

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण से लड़ने में पेड़-पौधों की महती भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन क्या पेड़ों के बिना कागज बनाना संभव है? जी हां, पेड़ों को नुकसान पहुंचाए बिना भी कागज बनाया जा सकता है ऑस्ट्रेलिया के दो उद्यमी केविन गार्सिया और जॉन त्से की तकनीक कुछ ऐसा ही कर रही है। एक साल शोध करने के बाद उन्होंने कागज बनाने का ऐस विकल्प तैयार किया है जो बिना पेड़ों को नुकसान पहुंचाए कागज बनाने में सक्षम हैं। जुलाई 2017 में दोनों ने अपने 'कार्स्ट स्टोन पेपर' स्टार्टअप के जरिए खंडहर पड़ी इमारतों और निर्माणाधीन बिल्डिगों से पत्थरों की छीलन (स्टोन वेस्ट) का उपयोग कागज बनाने के लिए कर रहे हैं।

40 फीसदी पेड़ कागज उद्योग में
वल्र्ड वाइल्ड लाइफ फंड के अनुसार अकेले कागज उद्योग ही 40 फीसदी लकड़ी का उपयोग करता है। केविन और जॉन के स्टार्टअप का उद्देश्य वनों को कटने से बचाना है। उनके कागज से इस साल ऑस्टे्रलिया में 540 बड़े पेड़ों को कटने से बचाया जा सका। इससे सालाना 25,500 किलो कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी।

ऐसे बनाते हैं पेपर
कंपनी चूना पत्थर एकत्र कर उसे महीन स्टोन डस्ट पाउडर बनाती है। इसमें एचडीपीई (उच्च-घनत्व पॉलीइथाइलीन) रेजिन मिलाया जाता है जो फोटोडिग्रेडेबल होता है। सूर्य के प्रकाश में आने पर यह क्षीण होकर 90 फीसदी कैल्शियम कार्बोनेट में बदल जाता है। इस पेस्ट जैसे मिश्रण को मशीन पर छोटे पैलेट्स में बदलकर गरम करने के बाद बड़े रोलर्स की मदद से कागज की शीट बनाई जाती है। पेड़ की लुगदी की तुलना में इस प्रक्रिया से कागज बनाने पर कार्बन उत्सर्जन 67 फीसदी कम होता है। ऑस्ट्रेलिया, अमरीका व ब्रिटेन में 70 से ज्यादा फर्म यह कागज उपयोग कर रही हैं।

-67 फीसदी कार्बन उत्सर्जन कम होता है इस प्रक्रिया से कागज बनाने पर
-81 देशों में 70 हजार से ज्यादा नोटबुक सप्लाई कर चुके हैं अब तक