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तो, इस तरह काम करती है बायोमेट्रिक मशीन

अंगुलियों की पहचान एकदम सटीक हो इसके लिए बायोमेट्रिक मशीन 3 चरण में पहचान करता है

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Jameel Ahmed Khan

Jul 19, 2017

Biometric Machine

Biometric Machine

नई दिल्ली। बायोमेट्रिक मशीन (फिंगर प्रिंट स्कैनर) पर सबसे पहले कर्मी की अंगुली लगाई जाती है, जिसे वह वह अपने डेटा में सेव कर लेती है। इसके बाद जब कर्मी फिंगर प्रिंट स्कैनर पर अंगुली रखता है तो वह अंगुली की रेखाओं के जरिये दर्ज डेटा से उसका मिलान करती है। मिलान हो जाने पर कर्मचारी की उपस्थिति दर्ज हो जाती है। अंगुलियों की पहचान एकदम सटीक हो इसके लिए बायोमेट्रिक मशीन 3 चरण में पहचान करता है। सबसे पहले फिंगर प्रिंट स्कैनर में कर्मचारी के अंगुलियों की इमेज के साथ-साथ उसका नाम व अन्य जानकारियां भी दर्ज की जाती हैं। इसके बाद फिंगर प्रिंट स्कैनर अंगुलियों की इमेज को यूनिक कोड में बदलकर कम्प्यूटर में स्टोर कर लेता है।

अब कम्प्यूटर में लगे सॉफ्टवेयर की मदद से अंगुलियों की लकीरों और बिंदुओं के आधार पर एक खास पैटर्न बनता है। इस पैटर्न में हर कर्मचारी का एक अलग न्यूमेरिक कोड बनता है और जब भी कर्मी फिंगर प्रिंट स्कैनर पर दर्ज की गई अंगुली लगाता है तो यह उसे स्कैन कर एक यूनिक न्यूमेरिक कोड तैयार करता है और डेटा में सेव हर कर्मी के न्यूमेरिक कोड से मिलान करता है। जिसके डेटा से मिलान हो जाता है, उसकी उपस्थिति दर्ज हो जाती है।

इसी पैटर्न पर आधार कार्ड भी करता है काम
सुरक्षा के लिए अब ज्यादातर इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज में फिंगरप्रिंट स्कैनर/फिंगरप्रिंट सेंसर दिया होता है, ताकि गैजेट्स में मौजूद सूचनाओं का कोई और इस्तेमाल न कर पाए। आधार कार्ड भी इसी पैटर्न पर काम करता है।