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कबाड़ से कमाल- ‘रिटायरों’ को ‘काम का’ बनाने की कला

सालाना 10 करोड़ टायर्स रिटायर होते हैं भारत में

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जयपुर

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Mohmad Imran

May 28, 2021

कबाड़ से कमाल- 'रिटायरों' को 'काम का' बनाने की कला

कबाड़ से कमाल- 'रिटायरों' को 'काम का' बनाने की कला

अक्सर काम का न रहने के बाद हम इस्तेमाल की जा चुकीं चीज़ों को कबाड़ समझकर स्टोर रूम या कबाड़ीवाले को बेच देते हैं। हमारे आस-पास बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं, जो बेकार और टूटी-फूटी हैं। ज्यादातर लोगों को लगता है कि इनका अब कोई उपयोग नहीं है। लेकिन बेंगलूरु निवासी पूजा रॉय के लिए ये बहुमूल्य खजाना है। कबाड़ से जुगाड़ और फिर कमाल कर दिखाने के उनके हुनर ने बेंगलूर से 250 किमी दूर स्थित मल्लीपल्लम गांव के सरकारी स्कूल में फिर से बच्चों की आमद बढ़ा दी है।

ताकि हर बच्चा खेल सके
पूजा का कहना है कि हर बच्चे को खेलने का हक है, इसमें खेलकूद का सामान बाधा नहीं बनना चाहिए। तब से पूजा बेकार टायरों, ड्रम्स, हेंडल्स, रिम और काम आ सकने वाली किसी भी चीज को खेलने के जुगाड़ू सामान में तब्दील कर देती हैं। उनका 'टायर-टू-प्लेग्राउंड' प्रोजेक्ट अब तक ऐसे 275 से ज्यादा 'टायर प्लेग्राउंड्स' का निर्माण कर चुका है।