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क्या अंतरिक्ष यात्री नहीं पैदा कर सकेंगे बच्चे? रिसर्च में हुआ खुलासा

अंतरिक्ष यात्रा का स्तनधारियों के प्रजनन पर क्या असर होता है मांसपेशियों और बोन मास की क्षति के साथ ही कोशिकाओं में बदलाव होता है।

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नई दिल्ली। अंतरिक्ष की यात्रा करना जितना कठिन है उतना ही कठिन है उनकी जिंदगी का सफर। इसलिये जब भी कोई इंसान आतरिंक्ष की य़ात्रा करने जाता है तो उनकी सेहत पर यात्रा के पहले और बाद में बारीकी से नजर रखी जाती है। क्या अंतरिक्ष की यात्रा उनकी बच्चा पैदा करने की क्षमता पर भी असर डाल सकती है? इस प्रश्न का जबाब पाने के लिये कई तरह के परिक्षण किये गए है और इसका सही परिक्षण चूहों पर किया गया। जिसमें पाया गया कि एक महीने तक अंतरिक्ष में रहने के बाद धरती पर वापस लौटा चूहा पृथ्वी पर प्रजनन करने में सक्षम है। एक रिसर्च में यह पता चला है। अंतरिक्ष यात्रा का स्तनधारियों के प्रजनन पर क्या असर होता है इसका यह पहला सबूत है।

वैज्ञानिकों को पहले ऐसे संकेत मिले थे कि जो लोग अंतरिक्ष में समय बीता कर आते है उनके शुक्राणुओं पर बुरा असर पड़ता है। यहां तक चूहे के शुक्राणुओं को एक सुरक्षित जगह पर जब 9 महीने तक वहां रखा गया तो उनमें भी विकिरण से हुआ नुकसान दिखाई पड़ा। इसी तरह 13 दिन तक कक्षा में बिताने वाले चूहों में शुक्राणुओं की संख्या ही कम हो गई। नई रिसर्च करने के लिये 12 चूहों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में 35 दिन तक रखा गया। उनके लिए खास डिजाइन के पिंजरे बनवाए गए थे। कुछ चूहों ने माइक्रोग्रैविटी में भारहीनता का भी अनुभव किया जबकि बाकी चूहे उन पिंजरों में ही रहे जिनमें कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण की व्यवस्था थी।

पृथ्वी पर वापस लौटने के बाद रिसर्चरों ने इन चूहों के शुक्राणुओं को ऐसी चुहिया के अंडाणु के साथ निषेचित किया जो कभी अंतरिक्ष में नहीं गईं थी वैज्ञानिकों ने देखा कि अंतरिक्ष में घूम चुके चूहों से स्वस्थ बच्चे पैदा हुए। इसके बाद रिसर्च की एक टीम नें अंतरिक्ष यात्रा करने वाले चूहों के प्रजनन अंगों का भी निरीक्षण किया । तो पाया कि बच्चों में उनके मां बाप को हुए नुकसान का कोई चिन्ह नहीं था। जिसके बाद से साइंटिस्ट इस नतीजे पर पहुचे है कि साइंटिफिक कि कम समय के लिए अंतरिक्ष में रहने से नर प्रजनन अंगों की शारीरिक गतिविधियों, शुक्राणुओं के कामकाज और बच्चों की जीवनक्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता।"

मेडिकल रिसर्च इससे पहले भी दावा कर चुका है कि अंतरिक्ष यात्रा में जाने वालों को शरीर पर कई प्रकार के नकारात्मक असर देखने को भी मिले है, इसमें मांसपेशियों और बोन मास की क्षति के साथ ही कोशिकाओं में बदलाव होता है। जिसका सबसे बड़ा कारण होता है विकिरण के संपर्क में आना । रिसर्चों में कुछ और जीवों के प्रजनन तंत्र पर होने वाले असर को देखा गया है। हालांकि नई स्टडी में पहली बार अंतरिक्ष यात्रा के असर का आणविक स्तर पर परीक्षण किया गया है।

वैसे यह रिसर्च पर अभी काम चल रहा है। इसलिये जरूरी नहीं कि यह बता सके कि इंसान के प्रजनन तंत्र या फिर चुहिया के प्रजनन तंत्र पर इसका क्या असर होता है। रिसर्चरों का कहना है कि वो पता लगाना चाहते हैं कि अंतरिक्ष यात्रा का असर हार्मोन और जीन के स्तर पर कैसा होता है खासतौर से प्रजनन तंत्र में। रिसर्च में कहा गया है कि वह युग आ रहा है जब लोग आसानी से अंतरिक्ष में जा सकेंगे। ऐसे में हम पूराी तरह से तैयार रहे कि अगली पीढ़ी में आने वाले अवांछित असर को रोका जा सके।