संतोष दुबे, सिवनी. एक कमरे में पांच क्लास एक साथ लगाई जाएं, तो पढ़ाई का क्या हाल होगा? यह देखना हो तो शहर से महज 8 किमी दूर जबलपुर रोड पर स्थित शासकीय प्राथमिक शाला नगझर पहुंचकर देखा जा सकता है। यहां बदइंतजामी के बीच पढ़ रहे बच्चों की शिक्षा का स्तर इतना निम्न है, कि बच्चे अपना नाम तक नहीं लिख पा रहे हैं, दो का पहाड़ा सही ढंग से नहीं सुना पा रहे। यह हकीकत शनिवार को पत्रिका की पड़ताल में भी सामने आई।
छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान न हो इसके लिए एक कमरे में एक कक्षा में 40 बच्चों को बिठाकर पढ़ाए जाने का नियम है। कक्षा शिक्षक जरा भी इधर-उधर हुआ ओर बच्चों का हो हल्ला देखते ही बनता है। ऐसे में एक कमरे में पांच अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बिठाकर जिस स्कूल में पढ़ाई कराई जाती हो उस स्कूल की पढ़ाई कैसी और किस प्रकार से होती होगी यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
शहर सीमा से लगे शासकीय प्राथमिक शाला नगझर में पिछले चार सालों से एक छोटे से हालनूमा कमरे में पांच कक्षाओं के छात्रों को बिठाकर पढ़ाया जाता है। इसमें से कक्षा पहली, दूसरी और तीसरे के छात्रों को एक शिक्षिका एक दीवार में लगे ब्लैक बोर्ड की ओर मुंह करके बिठाकर पढ़ाती हैं तो दूसरी ओर की दीवार के ब्लैक बोर्ड में कक्षा चौथी व पांचवीं के बच्चों को दूसरी शिक्षिका पढ़ाती हैं। एक कक्षा में पहली से पांचवीं कक्षा की पढ़ाई कराने से सभी छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित होती है।
शिक्षिकाओं ने बताया कि प्रायमरी स्कूल में छात्रों की दर्ज संख्या 26 है। जिसमें कक्षा पहली में पांच, दूसरी में सात, तीसरी में छह, चौथी में दो और कक्षा पांचवी में छह विद्यार्थी हैं। स्कूल में दो शिक्षिकाएं पांच कक्षाओं के छात्रों को पढ़ाती है।
शिक्षिकाओं ने बताया कि स्कूल परिसर में प्राचीन शाला भवन है, लेकिन टूटी म्यार, खप्पर, छत के कारण कमरों के अंदर पानी आने से उक्त शाला भवन को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इसके बाजू से बने पक्के एक छोटे से हालनूमा कमरे में ही पांच कक्षाओं के बच्चों को बढ़ाया जा रहा है। एक कमरे में पढ़ाने से सभी बच्चों का ध्यान भटकता है और उनकी पढ़ाई नहीं पाती है। वहीं एक दूसरे को धक्का लगने पर कई बार बच्चे आपस में लडऩे-झगडऩे लगते हैं। उन्हें बार-बार समझाना पड़ता है।
इनका कहना है
एक कमरे में पांच कक्षाएं लगाना और बच्चों को पढ़ाने-लिखाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पुराने भवन का मरम्मती कार्य कर दिया जाए तो अलग-अलग कमरों में पढ़ाई हो सकेगी।
बीना कुमरे, प्रधान पाठक
शास. प्राथमिक शाला नगझर, सिवनी