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महादेव की इच्छा से धरती पर आए थे श्रीकृष्ण

देवी पुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह कार्यक्रम जारी

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Lord Krishna came to earth with the will of Mahadev

सिवनी. सिवनी-मंडला मार्ग पर स्थित ग्राम डूण्डासिवनी (पलारी) में १९ दिसंबर से देवी पुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह जारी है। देवी पुराण के ६वें दिन की कथा का संगीतमय वाचन हुआ। कथावाचक पंडित पंडित ओमकार प्रसाद द्विवेदी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को कहा कि भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के 24 अवतारों में से एक थे और उनकी प्रेमिका राधा लक्ष्मी का स्वरूप थीं ये बात लगभग सभी लोग जानते हैं। अनेक पुराणों में ये बात बताई गई हैं। लेकिन देवी पुराण में इस विषय पर बहुत सी ऐसी बात बताई गई हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु के नहीं बल्कि मां काली के अवतार थे। वहीं उनकी प्रेमिका राधा, देवी लक्ष्मी का स्वरूप नहीं अपितु महादेव का अवतार थीं। इस पुराण के अनुसार पृथ्वी का भार समाप्त करने से लिए द्वापर के अंत में महादेव की इच्छा से मायापुरुष का रूप धारण कर देवकी के गर्भ से पृथ्वीलोक में अवतार लिया था।
महाराज ने कहा कि देवीपुराण के अनुसार भगवान महादेव वृषभानुपुत्री राधा के रूप में जन्में। साथ ही श्रीकृष्ण की आठ पटरानियां रुक्मिणी, सत्यभामा आदि भी महादेव का ही अंश थीं। पार्वती की जया, विजया नामक सखियां श्रीदाम और वसुदाम नामक गोप के रूप अवतरित हुईं। भगवान विष्णु ने बलराम तथा अर्जुन के रूप में अवतार लिया। पांडव जब वनवास के दौरान कामाख्य शक्तिपीठ पहुंचे तो वहां उन्होंने तप किया, इससे प्रसन्न होकर माता प्रकट हुई और उन्होंने पांडवों से कहा कि मैं श्रीकृष्ण के रूप में तुम्हारी सहायता करूंगी तथा कौरवों का विनाश करूंगी।
जब कौरवों और पांडवों में युद्ध होने वाला था तब भी पांडवों से सबसे पहले मां भगवती का पूजन किया था जिससे प्रसन्न होकर माता ने उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद दिया था। महाभारत के युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित मां काली ने पुन: अपने धाम जाने का विचार किया। तब श्रीकृष्ण समुद्र के किनारे पहुंचे, इसी समय वहां नंदी, सिंह द्वारा खींचा जाने वाला रत्नजटित रथ लेकर अंतरिक्ष से वहां आ गए। समुद्र के तट पर आए हुए श्रीकृष्ण को देखकर देवताओं ने प्रसन्नचित्त होकर पुष्प वर्षा की। तभी भगवान श्रीकृष्ण अचानक काली का रूप धारण कर सिंह के द्वारा खींचे जाने वाले रथ पर चढ़ कर कैलाश की ओर चले गए और महादेव का अंश स्वरूप रुक्मिणी आदि पटरानियां भी अपने लोक को चली गईं। कथा के उपरांत आरती पूजन कर प्रसाद वितरण किया जा रहा है। कथावाचक पंडित ओमकार प्रसाद द्विवेदी के मुखारबिंद से प्रतिदिन दोपहर १ बजे से ५ बजे तक कथा वाचन हो रहा है। हवन एवं विसर्जन बुधवार की सुबह २७ दिसंबर को महाप्रसाद एवं भण्डारा का आयोजन होगा। आयोजन समिति के रमेश ठाकुर, संतोष, सुनील, जितेन्द्र, विशाल, जमना बाई व अन्य सभी ने क्षेत्रीय नागरिकों से उपस्थित होने को कहा है।