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सफल होनी चाहिए पीएम की सभा अन्यथा अन्य विश्व में जाएगा गलत संदेश

वर्ष 1993 में सिवनी आए थे अटल

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सफल होनी चाहिए पीएम की सभा अन्यथा अन्य विश्व में जाएगा गलत संदेश

सिवनी. विरोधियों का सम्मान करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी अब इस दुनियों में नहीं है। उनकी मौत के साथ उनकी यादे ताजा हो गई हैं। वे वर्ष 1993 में सिवनी आए थे। संयोग से उस दिन सिवनी में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की जनसभा थी। उनकी सभा के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों को मुख्यालय लाया जा रहा था। जबलपुर से आते समय वाजपेयी को रास्ते में कई जगह वाहनों के अवागमन से समस्याएं हुई तो खींझे मन से एक कार्यकर्ता ने बताया कि यह स्थिति नरसिम्हा राव के सभा की वजह है। इस पर उन्होंने कहा कि पीएम के सभा की रिपोर्टिंग विश्व में जाती है। इसलिए उनकी सभा सफल होनी चाहिए। अन्यथा दूसरे देशों में गलत संदेश जाएगा।
इसकी पुष्टि पूर्व विधायक नरेश दिवाकर ने की है। बताया कि वाजपेयी जिस दिन सिवनी में रहे उस दिन उनके साथ एक दिवस प्रवास का मुझे अवसर मिला। यादों को ताजा करते हुए दिवाकर ने बताया कि मैं उस समय भारतीय जनता पार्टी की युवा इकाई का जिलाध्यक्ष था। महेश प्रसाद शुक्ला सिवनी से हमारे प्रत्याशी थे। चुनाव प्रचार जोरों पर था। अटलजी लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता थे। मुझे प्रदेश कार्यालय से सूचना आई कि अटलजी का सिवनी व छिंदवाड़ा का प्रवास कार्यक्रम बना है। उनकी आमसभा लखनादौन, सिवनी, छिंदवाड़ा में होगी। उन्हें जबलपुर से लेकर आना है और छिंदवाड़ा सभा के बाद हवाई पट्टी छोडऩा है, जहां से वे चार्टर प्लेन से इंदौर जाएंगे। मैं प्रसन्नता और रोमांच से भर उठा और अपने मित्र संजय मालु के साथ रात को ही जबलपुर पहुंच गया। सबेरे आठ बजे निर्मलचंद के निवास पर अटलजी के साथ नाश्ते के उपरांत हम एक ही कार में सिवनी के लिए रवाना हुए। कार में चार लोग थे, अटलजी उनके निज सचिव संजय और मैं। परिचय उपरांत उन्होंने दिनभर के कार्यक्रम की जानकारी ली। मैंने उन्हें बताया कि पहली सभा लखनादौन फिर सिवनी तत्पश्चात छिंदवाड़ा सभा शाम को है।
धूमा पहुंचने के थोड़ी देर पहले मैंने उन्हें लोंग-इलायची देनी चाही तो उन्होंने अपने अंदाज में हंसते हुए कहा अरे ये तो आखिरी आइटम है पहले का कुछ निकालो। हमने तत्काल टिफिन में रखे परांठे निकाले जिसे उन्होंने चलती कार में बड़े चाव के साथ खाए। धूमा से अटलजी के स्वागत की श्रृंखला चालू हो गई। लखनादौन की शानदार सभा हुई। इसके बाद मुझे अटलजी के उस महान व्यक्तित्व के दर्शन हुए जिसके लिए वे जाने जाते हैं। उसी दिन सिवनी में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में नरसिंहराव की भी आम सभा थी। उनकी सभा के लिए ट्रकों व ट्रेक्टरों से भीड़ ले जाई जा रही थी, इस कारण रास्ते में कहीं-कहीं ट्रैफिक जाम की स्थिति बन रही थी। मैंने थोड़ी नाराजगी भरे अंदाज में अटलजी को बताया। अटलजी ने अत्यंत गंभीर व समझाने वाले अंदाज में मुझे कहा कि इसमें नाराज होने वाली बात नहीं है। प्रधानमंत्री की सभा की रिपोर्टिंग सारे विश्व में जाती है इसलिए उनकी सभा सफल होनी ही चाहिए, अन्यथा अन्य देशों में अपने प्रधानमंत्री को लेकर गलत संदेश जाएगा। मुझ जैसे छोटे से कार्यकर्ता से अटलजी द्वारा कहे गए वो वाक्य अभी भी मेरे मन मस्तिष्क से विस्मृत नहीं हुए हैं। सिवनी की मिशन ग्राउंड व छिंदवाड़ा के स्टेडियम की सफल सभा के बाद हम उन्हें छोडऩे एयर स्ट्रिप तक गए। जाते समय उन्होंने कहा दिल्ली आओ तो मिलना अवश्य। संयोग से विधायक बनने के बाद जब दिल्ली गया तब तक वे प्रधानमंत्री बन चुके थे। प्रधानमंत्री निवास पर मुलाकात के दौरान मैंने अपने जीवन की इस महत्वपूर्ण यात्रा की उनसे चर्चा की।
एक प्रखर राष्ट्रवादी, कुशल राजनीतिज्ञ, कवि हृदय, महान व्यक्तित्व के धनी, सुचिता की राजनीति करने वाले, अटल इरादों वाले अटलजी के साथ बिताए गए कुछ घंटे मेरे जीवन के अमूल्य धरोहर के रूप में मेरे साथ आजीवन रहेंगे।
छपारा के सीताफल का वाजपेयी ने चखा था स्वाद
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी लखनादौन से जब सिवनी के लिए आ रहे थे तो का र्यकर्र्ताओं ने उनको छपारा में सीताफल दिया। उन्होंने सीताफल चखा और उसके स्वाद की प्रशंसा की।