
Ramzan 2021 : इस्लाम के मुताबिक क्यों आम दिनों से अलग और खास हैं रमज़ान? जानिये खास बातें
सिवनी. सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम रोजा नहीं है, बल्कि हर बुराई और हर बुरे काम से बचने का नाम रोजा है। शरीर के हर अंग का रोजा होता है, रोजा इंसान को जिंदगी बसर करने का तरीका सिखाता है, कि किस तरह से जिंदगी गुजारी जाए।
शुक्रवार को माहे रमजान की पहले जुमे की नमाज सभी मस्जिदों में अता की गई। इस दौरान मस्जिदों में माहे रमजान से तालुक बयान भी किए गए। बयान में बताया गया कि बुरी चीजें ना देखना आंख का रोजा, बुरे काम ना करना हाथ का रोजा, बुरे कामों की तरफ ना जाना पैर का रोजा है। इसी तरह माहे रमजान में एक नेक काम के बदले 70 नेक कामों के बराबर अल्लाह अपने बंदों को शबाव अता करता है।
बीते 3 अपै्रल से प्रारंभ हुए माह रमजान का शुक्रवार को छठवां रोजा रखा गया। जुमा के दिन मस्जिदों में जहां माहे रमजान के पहले जुमे की नमाज अता की गई वहीं पहले जुमे के दिन नमाज पढऩे के लिए मस्जिदों में काफी तादाद में लोग पहुंचे। इस वर्ष माहे रमजान का पहला जुमा 8 अपै्रल (छठवां रोजा) दूसरा जुमा 15 अपै्रल (तेरहवां रोजा) तीसरा जुमा 22 अपै्रल (बीसवां रोजा) एवं चौथा जुमा 29 अपै्रल (सत्ताइसवे रोजे) को पड़ेगा।
माहे रमजान की शुरूआत होते ही मस्जिदों में जहां एक ओर इबादत का दौर जारी हो गया वहीं घरों में भी कुरान की तिलावत के साथ इबादत का दौर जारी है। बीते दो वर्षों से कोरोनाकाल के चलते लोग मस्जिदों में पहुंचकर इबादत नहीं कर पा रहे थे। शासन की गाइड लाइन के अनुसार ही कोरोना काल के दौरान मस्जिदों में नमाजें पढ़ी गई, लेकिन इस वर्ष बच्चे, बूढ़े और नौजवान माहे रमजान के दौरान पांचों वक्त की नमाजों में पहुंचकर अपने पालनहार की इबादत कर रहे हैं। वहीं नमाजे तरावीह के साथ दीगर इबादत में मशगूल हैं। माहे रमजान के पहले जुमे के दिन सभी मस्जिदों में लोगों ने पहुंचकर नमाज अता की।
Published on:
08 Apr 2022 09:28 pm
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