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Seoni News: पहली विजना, हर्रई, माइक्रो सिंचाई परियोजना में गड़बड़ी की आशंका

– अधिवक्ता का आरोप, बिना कार्य के हुआ भुगतान
– आरटीआई से मांगी जानकारी भी नहीं दे रहा जल संसाधन विभाग
– अधिवक्ता ने कलेक्टर से की शिकायत तो एक माह में विभाग ने कराया कार्य

सिवनीMay 16, 2024 / 06:21 pm

akhilesh thakur

माइक्रो सिंचाई परियोजना

माइक्रो सिंचाई परियोजना

सिवनी. जलसंसाधन विभाग में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांचना मंडी में भ्रष्टाचार करने वाले कार्यपालन यंत्री व एसडीओ के खिलाफ जांच में मामला सही मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। नतीजा मध्यम हेड के फंड की बुकिंग माइनर योजनाओं में करके एक कार्यपालन यंत्री पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा। मुख्य अभियंता ने दो अधिकारियों को जांच दी, लेकिन अभी तक जांच पूरी नहीं हुई और आरोपी सेवानिवृत्त हो गया। यह मामला अभी ठंडा नहीं हुआ है। इसबीच जिले की पहली विजना हर्रई माइक्रो सिंचाई परियोजना में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। मार्च माह में इस योजना का कार्य करने वाली निर्माणदायी कंपनी को 10 करोड़ रुपए भुगतान किए जाने की बात बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि काम नहीं करने के बाद भी उक्त कंपनी को भुगतान किया गया।

अधिवक्ता प्रदीप पटेल ने ‘पत्रिका’ को बताया कि संभाग क्रमांक-तीन भीमगढ़ के अंतर्गत उक्त परियोजना का कार्य चल रहा है। 15 अप्रेल को मैंने इस संबंध में कलेक्टर को पत्र लिखकर उक्त सिंचाई परियोजना में की जा रही गड़बड़ी की जानकारी दी। इसके बाद मुख्य अभियंता मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने स्थिति को देखा था। उनके वहां से लौटने के दूसरे दिन से तेजी से कार्य शुरू करा दिया गया। इसकी जानकारी होने पर मैंने फिर कलेक्टर को पत्र लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई और कार्य चलता रहा।

अधिवक्ता पटेल ने बताया कि करीब 30 करोड़ रुपए से अधिक की इस परियोजना में 29 फरवरी तक कोई भुगतान नहीं हुआ। उक्त दिवस को प्रभारी कार्यपालन यंत्री सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद दूसरे को प्रभार दिया गया। उप यंत्री व सहायक यंत्री का प्रभार दूसरे डिविजन के एक अधिकारी को दिया गया। उसने मेजरमेंट सहित अन्य कार्य पूरे किए। तब मार्च माह में 10 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ। पटेल ने बताया कि इस परियोजना में 22 से 23 करोड़ रुपए सामग्री के लिए है। सामग्री की गुणवत्ता का परीक्षण किया जाना है। इसके बाद भुगतान करना है। ऐसे में चंद दिनों में जलसंसाधन विभाग ने यह कारनामा कैसे कर दिया समझ में नहीं आया। इससे सवाल खड़ा हो रहा है कि सामग्री के गुणवत्ता की जांच नहीं हुई है।

अधिवक्ता पटेल का कहना है कि मैंने इस संबंध में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी है, लेकिन अभी तक मुझे जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। उनका कहना है कि मुख्य अभियंता की कार्यशैली भी इस मामले में संदिग्ध है। यदि समय रहते जिले के जनप्रतिनिधियों ने नि:स्वार्थ भाव से इस परियोजना की तरफ ध्यान नहीं दिया तो दूसरी परियोजनाओं की तरह इसका भी हॉल हो जाएगा। इसके लिए क्षेत्रीय किसान और ग्रामीणों को भी जागरूक होना होगा।

नौ गांवों के किसानों के खेत होंगे सिंचित


इस योजना से जीरो चैन से इंटकवेल बनाकर नौ ग्राम के किसानों को सिंचाई की सुविधा दी जानी है। किसानों ने बताया कि 29 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले कार्यपालन यंत्री ने कोई भुगतान नहीं किया। मार्च माह में 10 करोड़ का भुगतान हुआ। यह भुगतान तिलवाड़ा बाई तट नहर संभाग केवलारी में पदस्थ प्रभारी कार्यपालन मंत्री विनोद उइके ने किया। भुगतान किए जाने की पुष्टि कार्यपालन यंत्री व मुख्य अभियंता ने की है।
वर्जन –
जिले की यह पहली माइक्रो सिंचाई परियोजना है। इसका काम बहुत तेजी से चल रहा है। दो वर्ष में कार्य पूरा करने का अनुबंध है, लेकिन एक वर्ष में मैं कार्य पूरा कराने का प्रयास कर रहा हूं। खेती कार्य शुरू होने के पूर्व 100 प्रतिशत पाइप लाने के निर्देश निर्माणदायी कंपनी को दिया गया है। कंपनी ने शुरू में किए गए कुछ कार्य के भुगतान नहीं लिए थे। इसलिए उसे मार्च में माह में एक साथ 10 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। जितना भुगतान किया गया है। उतने कार्य हो चुके हैं। आरटीआई से जानकारी मांगने वाले को जानकारी देनी चाहिए। इसमें विलंब क्यों हुआ? इसका पता लगाएंगे।
– अशोक कुमार डेहरिया, प्रभारी मुख्य अभियंता वैनगंगा कछार जल संसाधन विभाग सिवनी

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