24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मोगली की धरती का ये भी है एक रहस्य

जिन घने जंगलों, पहाड़ों को रुडयार्ड किपलिंग ने अपनी किताब द जंगल बुक के जरिये दुनिया के सामने लाया है। उसी घने जंगल में 39 साल से एक रहस्यमयी बाबा तपस्या कर रहे हैं।

3 min read
Google source verification

image

Sunil Vandewar

Sep 19, 2016

seoni

seoni


सिवनी.
मोगली की धरती कहे जाने वाले अमोदागढ़ के जिन घने जंगलों, पहाड़ों को रुडयार्ड किपलिंग ने अपनी किताब द जंगल बुक के जरिये दुनिया के सामने लाया है। उसी घने जंगल में जहां इंसान का पहुंचना मुश्किल होता है। ऐसे पहाड़ और दुर्गम चट्टानों, कंटीली झाडिय़ों के बीच नदी किनारे गुफा में 39 साल से एक रहस्यमयी बाबा तपस्या कर रहे हैं। इन बाबा के बारे में जंगल क्षेत्र के ग्रामीण भी कई हैरान करने वाले किस्से सुनाते हैं, जो इस रहस्य और रोमांच को बढ़ा देता है। तब हर कोई यही सोचता है कि कैसे ये सब संभव है।

इंसानी दुनिया से मीलों दूर -



घने जंगल में चट्टानों के बीच शक्तिपुंज गुफा हैं, यहां बाल ब्रम्हचारी आरण्यवासी सम्पूर्ण चैतन्य बालयोगी के नाम से पहचाने जाने वाले बाबा 39 साल से रहस्य का केन्द्र बने हुए हैं। इन बाबा को रहस्यमयी इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि 1977 से ये शहर और गांव की इंसानी दुनिया से मीलों दूर जहां हर तरफ पहाड़, चट्टान और जंगल ही जंगल है, वहां बड़ी चट्टान के नीचे रह रहे हैं और जब इंसान इन तक पहुंचते हैं, तो ये बाबा अपने चेहरे और आंखों को नकाब से ढक लेते हैं।

आ रहा है कोई, हो जाता है एहसास-



सिवनी से करीब 50 किमी दूर अमोदागढ़ के जंगल में रह रहे इन रहस्यमयी बाबा को खोजते हुए जब लोग इस जगह तक पहुंच रहा होता है, तो बाबा को दूर से ही एहसास हो जाता है, कि कोई इंसान उनकी ओर बढ़ रहा है। जब लोग गुफा के नजदीक पहुंचते हैं, तो बाबा गुफा के भीतर से ही आवाज लगाकर उन्हें रुकने को कहते हैं। कुछ पलों के बाद काले पहनाने में बाबा अंधेरी-संकरी गुफा से बाहर आते है, उनके चेहरे पर नकाब और आंख में काला चश्मा होता है। वे इशारे से एक पत्थर पर बैठने को कहते हैं, फिर परिचय लेते हैं। बाबा के आसन किनारे तलवार, कमंडल जैसी चीजें रखी होती हैं। हालांकि बाबा बलि, नशा, कोलाहल के विरोधी भी हैं।

अद्भुत शक्ति ने लाया था यहां -



बाबा अपने इस घने जंगल में पहुंचने की घटना को भी रहस्यमयी बताते हैं, उनका कहना है कि जब वे वर्ष 1977 में 12 वर्ष के थे तभी अद्भुत शक्ति ने उन्हें इन जंगल में ला छोड़ा था, तभी से वे यहीं तप कर रहे हैं। नकाब में रखने का कारण बताते हुए ये बाबा कहते हैं कि तपस्या से आंखों में शक्ति आ गई है, किसी चीज को खुले मुंह, खुली आंखों से देखना उस चीज के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए नकाब में ही सामने आते हैं। बाबा बताते हैं जंगल में ही जो कुछ मिल जाता है, वही खाकर तपस्या करते हैं, वन्यप्राणियों से उन्हें कोई खतरा नहीं है। उन्होंने पूरी आयु ऐसे ही घोर तपस्या का प्रण लिया हुआ है। मोगली को लेकर बाबा का कहना है कि मोगली यहां था या नहीं यह नहीं कह सकते, लेकिन इस जंगल में अद्भुत शक्ति है, जो उन्हें 39 साल से ऊर्जा दे रही है।

ये भी पढ़ें

image