सिवनी से करीब 50 किमी दूर अमोदागढ़ के जंगल में रह रहे इन रहस्यमयी बाबा को खोजते हुए जब लोग इस जगह तक पहुंच रहा होता है, तो बाबा को दूर से ही एहसास हो जाता है, कि कोई इंसान उनकी ओर बढ़ रहा है। जब लोग गुफा के नजदीक पहुंचते हैं, तो बाबा गुफा के भीतर से ही आवाज लगाकर उन्हें रुकने को कहते हैं। कुछ पलों के बाद काले पहनाने में बाबा अंधेरी-संकरी गुफा से बाहर आते है, उनके चेहरे पर नकाब और आंख में काला चश्मा होता है। वे इशारे से एक पत्थर पर बैठने को कहते हैं, फिर परिचय लेते हैं। बाबा के आसन किनारे तलवार, कमंडल जैसी चीजें रखी होती हैं। हालांकि बाबा बलि, नशा, कोलाहल के विरोधी भी हैं।