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अंग्रेजों के जमाने का स्कूल हुआ जर्जर

छत को संभालने वाली लकड़ी जर्जर हो गई है जिसे रोकने के लिए ईंटों का एक खंबा बना दिया गया है लेकिन खतरा टला नहीं है।

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manish tiwari

Sep 08, 2016

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सिवनी.
जिले में कई जगहों पर स्कूलों की इमारतों की हालत काफी जर्जर बनी हुई है। ऐसा ही एक स्कूल पास के लखनवाड़ा में स्थित है जो तकरीबन 120 साल पुराना है। स्कूल की हालत इतनी जर्जर हो गई है कि जरा सी बारिश होते ही छात्र और शिक्षक परेशान हो जाते हैं। किसी तरह छत पर पन्नी लगाकर कक्षाएं लगाई जाती हैं। इसकी इमारत काफी जर्जर हो चुकी है जिसकी दीवारें कभी भी गिर सकती हैं।

दरअसल यह स्कूल आज से तकरीबन 120 साल पहले बना था। अपनी स्थापना के इन सौ से अधिक सालों में स्कूल के नवनिर्माण के लिए किसी तरह के प्रयास नहीं किए गए। जिसका परिणाम यह निकला कि स्कूल लगातार जर्जर होता चला गया। आज हालत यह है कि स्कूल में शिक्षक और बच्चे डर के साए में शिक्षण कार्य करते हैं। वजह यह है कि स्कूल में किसी भी समय हादसे की आशंका सताती रहती है। स्कूल की दीवारें तो काफी मोटी और मजबूत हैं लेकिन छत में लगी बल्लियां सड़ गई हैं जिसके कारण ये कभी भी गिर सकती हैं।

स्कूल में बारिश में फूटे खपरों से पानी बरसता रहता है जिसके कारण बच्चों को बच कर पढऩा पड़ता है। स्कूल के हेडमास्टर मोहन सिंह बघेल का कहना है कि उन्होंने प्रशासन के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि यदि स्कूल मरम्मत के लिए राशि उपलब्ध करा दी जाए तो छत में सीमेंट या लोहे की चादरें डाल दी जाएं। छत को संभालने वाली लकड़ी जर्जर हो गई है जिसे रोकने के लिए ईंटों का एक खंबा बना दिया गया है लेकिन खतरा टला नहीं है। उनका कहना है कि स्कूल की इस हालत के लिए कई बार प्रशासन को लिखा जा चुका है। उम्मीद है कि प्रशासन इस संबंध में शीघ्र कोई कदम उठाएगा।


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