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जिले के चंदिया पठार पर चांद की तरह आकृति के बीच बहता है झरना

जंगल के पेड़ों पर लिपटी लताएं सतपुड़ा के घने जंगल की दिलाती है याद

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जिले के चंदिया पठार पर चांद की तरह आकृति के बीच बहता है झरना

जिले के चंदिया पठार पर चांद की तरह आकृति के बीच बहता है झरना

सिवनी/धारनाकला. प्राकृतिक आभा से आलौकित नैसर्गिक प्राकृतिक छठा बिखेरने वाला बरघाट विकासखंड के ग्राम बहरई के निकट ग्राम मऊ से दो किमी चंदिया पठार अलग पहचान बना रहा हैं। इसके चारों तरफ जंगलों से आच्छदित चांद की तरह नदी के बीच चट्टनों से बहता झरना अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां पर अक्सर लोग पिकनिक मनाने आते हैं। यहां आने के बाद प्राकृतिक छठा को देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस क्षेत्र का अगर विकास किा जाए तो निश्चित ही जिले को एक बड़ा पर्यटन स्थल मिल सकता है। यह अपनी सुंदरता के लिए ग्रामीणों के आय का स्त्रोत भी बन सकता है।
जिला मुख्यालय से बालाघाट मार्ग पर करीब 40 किमी दूर ग्राम बहरई से पांच किमी ग्राम मऊ से तीन किमी दूर स्थित दो पहाड़ों के बीच बहने वाले नदी में चट्टनों के बीच से झरना आकृति बनाते हुए नदी में विलिन हो जाने वाले झरने के 300 फुट की गहराई तक का दृश्य देखकर लोगों को वहां जाने का अक्सर मन होता है, लेकिन सीढिय़ा नहीं होने के कारण लोगों को वहां तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
यह क्षेत्र जंगलों से अच्छादित है इसलिए पगडंडी मार्ग है, जहां पर चार पहिया या दो पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है। यहां तक पहुंचने के लिए जंगल मार्ग है और इस जंगल में अनेक प्रकार के जंगली जानवर विचरण करते देखे जा सकते हैं। क्षेत्र के गणमान्यजन बताते है कि अनेक बार उन्होंने यहां जाकर पिकनिक मनाई और ठंड एवं बारिश में यहां पर झरने की कृति लोगों को आकर्षित करती है। वन विभाग अंतर्गत आने वाला चंदिया पठार पर्यटन स्थल में अगर विश्राम गृह एवं पहुंच मार्ग तथा झरने तक पहुंचने के लिए जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि रूचि लेते हैं तो निश्चित ही प्रदेश एवं देश के लोगों को आकर्षित किया जा सकता है। इस कार्य में स्वयंसेवी संस्थाओं का भी साथ लिया जा सकता है। यह क्षेत्र जिला मुख्यालय से बहुत कम दूरी पर स्थित है, जिसे वन विभाग एवं पर्यटन विभाग के सहयोग से विकसित किया जा सकता है। जिला प्रशासन को इसमें रूचि लेना चाहिए।
साहित्यकार संजय जैन ने कहा कि इस क्षेत्र के विकास से ग्रामवासियों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे और बाहर से आने वाले लोगों को लकड़ी की एवं मिट्टी की कला कृति बनाने का प्रशिक्षण देने के उपरांत यहां पर आने वाले लोगों को विक्रय के लिए सुलभ कराया जाए। इससे गांव के लोगों का भी इससे जुड़ाव रहेगा। इस जंगलों में अनेक प्रकार की जड़ी बुटियां है, जिनका संग्रहण कर विभाग अच्छी आय प्राप्त कर सकता है। लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यहां पर पानी व्यवस्था एवं बारिश से बचने के लिए काटेज बनाए जा सकते हैं। गांव में रोजगार की कमी है। पर्यटन बढ़ेगा तो लोगों को रोजगार मिलेगा। धारनाकला निवासी अखिलेश राहंगडाले ने बताया कि कि इस पर्यटन स्थल से नजदीक हमारा ग्राम है और हमलोग यहां अक्सर आते हैं, लेकिन झरना तक पहुंचना कठिन होता है, क्योंकि यहां पर सीढिय़ा नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवार के साथ नहीं पहुंच पाते।