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सिवनी को क्या हो गया?, फिर आया भूकंप, बिस्तर से उठकर बाहर भागे लोग

सुबह चार बजे आए दो हल्के झटके, 6.45पर 3.4 रिक्टर का भूकंप

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सिवनी. भूकंप आया, भूकंप आया... की तेज आवाज के साथ सोमवार की सुबह शहर व इससे लगे ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों लोग करीब 6.45 बजे बिस्तर से उठकर सीधे घर के बाहर निकल गए। शहर व गांव के लोग अपने-अपने घर के बाहर खड़े दिखाई दिए। हर किसी के चेहरें पर दहशत नजर आया। डरे-सहमे लोग आपस में बात करते नजर आए। उनका कहना था कि सिवनी को क्या हो गया हैं?


शहर व इससे लगे कुछ गांवों में सोमवार को आएं भूकंप के झटके ने जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अफसरों की तंद्रा भी भंग कर दिया। आनन-फानन में भाजपा विधायक दिनेश राय मुनमुन, एसडीएम अंकुर मेश्राम, तहसीलदार प्रभात मिश्रा व मौसम विभाग के वैज्ञानिक की टीम शहर व ग्राम में पहुंची।

टीम ने भूकंप के संबंध में लोगों से बातचीत करने के साथ उनको इससे बचाव के तरीके बताए। ग्राम पंचायत छिडिय़ा पलारी के कुछ मकानों में आए दरार को देखा।

विधायक राय ने भूकंप से मकान की हुई क्षति का मुआवजा देने के लिए एसडीएम को निर्देश दिया। एसडीएम ने पटवारी को सर्वे कर रिपोर्ट बनाकर कार्यालय में प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया। कहा कि रिपोर्ट आने के बाद संबंधित को मुआवजा दिया जाएगा।

23 साल से पृथ्वी के नीचे इकट्ठा हुई एनर्जी के निकलने से बा रहे भूकंप : वैज्ञानिक
वर्ष 1997 में जबलपुर में आए भूकंप के बाद पृथ्वी के नीचे इकट्ठा हुई एनर्जी अब बाहर निकल रही है। उसी से भूकंप आ रहे हैं। यह बात दिल्ली से आए वैज्ञानिक वेद प्रकाश ने छिडिय़ा पलारी में एक सवाल के जवाब में कही है। उनका कहना था कि इस तरह की स्थिति देश के महाराष्ट्र के पालघर सहित अन्य स्थानों पर भी हैं।

अभी आ रहे भूकंप कम रिक्टर का हैं। इससे कोई खतरा नहीं है। आने वाले दिनों में भी बड़े भूकंप की आशंका नहीं है, लेकिन इससे लोगों को सचेत रहने की आवश्यकता है। ग्रामीणों से कहा कि जब भी भूकंप के झटके महसूस हो आप लोग तत्काल घर से बाहर निकल जाए, जो लोग घर से बाहर नहीं निकल सकते हैं, वे पलंग के नीचे छुप जाए। बताया कि सिवनी में बरघाट, कुरई व सिवनी में भूकंप मापयंत्र लगाया जाएगा।

वैज्ञानिक की बातों पर गौर करें तो उनके द्वारा भले ही किसी प्रकार के खतरे की बात नहीं कही जा रही हो लेकिन लगातार आ रहे झटके ने लोगों को डरने पर विवश कर दिया है। उधर वैज्ञानिक की बातों से ‘पत्रिका’ में प्रकाशित विशेषज्ञों की बातों को भी बल मिला हैं।