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विदेशों में गूंजता रहा इन वनराज का नाम , अब नम्बर बनी पहचान

सीता, ब्लूआई, बमेरा और चार्जर ने अर्जित की थी विश्व भर में ख्याति 

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Shubham Baghel

Jan 10, 2017

Tiger Reserv

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रघुवंश प्रसाद मिश्र @शहडोल
दुनिया भर में मशहूर बांधवगढ़ के बाघों का अब नामकरण नहीं हो रहा है। अब इन्हें नाम से नहीं नम्बर से पहचाना जाने लगा है। जिससे देश-विदेशों में बाघों की ख्याति पहले जैसी नहीं रही। एक समय ऐसा था जब बांधवगढ़ के दर्जन भर बाघों के नाम का दुनिया में डंका बजता था। शैलानी जब तक मन पसंद नाम के बाघ का दर्शन नहीं कर ले लेते थे, तब तक डेरा जमा रहता था। वन्य जीव प्रेमियों ने अतरराष्ट्रीय मान चित्र पर बांधवगढ़ का नाम और ऊंचा करने के लिए बाघों के नामकरण की पैरवी की है।

विदेशों में गूंजता रहा नाम :
बांधवगढ़ का नाम सुनते ही देशी-विदेशी पर्यटकों में विख्यात बाघों के नाम दिल और दिमाग मे उनकी छबि उभर आती थी। जिनमें चार्जर, शेरा, बलराम, ब्लू आई, मोहन, अमा नाला बाली बाघिन, झुरझुरा बाली बाघिन, बमेरा बाघ समेत दो दर्जन बाघ वन्य जीव प्रेमियो के जुबान पर रहते थे। सीता नाम की बाघिन बांधवगढ़ की शान मानी जाती थी। जंगल में सीता की बाघिन की दहाड़ दूर-दूर तक सुनी जाती थी। दहाड़ से ही पर्यटक जंगल के राजाओं की पहचान कर लेते रहे। लेकिन अब बी1 बी2 के चलते बाघ का परिचय पर्यटकों के लिए अनजान होता जा रहा है।

सुरक्षा का रहा तकाजा
वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि नाम करण न होने के पीछे भी राज छिपा है। जंगल के राजा को नाम दे देने से सुरक्षा की पोल खुल जाती थी। जिससे बाघों को ही बेनाम कर दिया गया। अब पर्यटक भी शोर शराबा कम करते हंै। घटना दुर्घटना में भी विशेषज्ञ सवाल जवाब करते थे। जिससे पार्क प्रबंधन की छबि धूलिल हो रही थी। जिसके चलते वनराज के नाम पर ही कैची चला दी गई। बांधवगढ़ में ग्रासलैण्ड का घटता क्षेत्र और बाघों का बढता घ्रनत्व वन्यजीवों का कोर एरिया से बफर जोन में पलायन करा रहा है। बाघों के बफर जोन में डेरा जमाने से सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है। इन्हीं कारणों से नामकरण भूली बिसरी बात होती जा रही है।
अजय दुबे
वन्य जीव विशेषज्ञ भोपाल

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