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ज्ञान, अनुसंधान और नवाचार की दिशा में शोधार्थियों को मिला मार्गदर्शन

पं. शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में पीएचडी कोर्स वर्क का हुआ शुभारंभ

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शहडोल. पं. शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में पीएचडी कोर्स वर्क 2024-2025 के लिए उद्घाटन सत्र का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम शोधार्थियों के लिए एक नई यात्रा की शुरुआत के रूप में देखा गया, जिसमें ज्ञानए अनुसंधान और नवाचार की दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रूप से मां सरस्वती के पूजा अर्चना एवं दीप प्र’वलन व मंत्रो‘चारण और वैदिक परंपरा के अनुसार हुई। मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. रामशंकर ने शोध के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि शोध न केवल ज्ञान का विस्तार करता है, बल्कि समाज के समक्ष उपस्थित जटिल समस्याओं का समाधान भी प्रस्तुत करता है। शोधार्थियों को अपने विषयों के प्रति गहनता से जुडक़र कार्य करना चाहिए, जिससे उनकी खोजें समाजोपयोगी बन सकें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य सिर्फ डिग्री प्रदान करना नहीं, बल्कि ज्ञान का संवर्धन और नवाचार को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने शोध की नैतिकता, मौलिकता और अनुशासन पर भी बल दिया। सभी छात्रों से उनके पास जाकर शोध की प्रखर चर्चा की।

विशिष्ट अतिथि प्रो. प्रमोद पाण्डेय ने शोध की प्रक्रिया, उसकी संरचना और गुणवत्ता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने शोध के दौरान आने वाली चुनौतियों तथा उनसे निपटने के उपायों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शोध एक सतत प्रक्रिया है जो केवल पुस्तकालयों या लैब तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक यथार्थ से भी जुड़ी होती है। कार्यक्रम की संयोजक प्रो. सुनीता बाथरे ने पीएचडी कोर्स वर्क की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि कोर्स वर्क में शोध पद्धति, शैक्षणिक लेखन, आंकड़ों का विश्लेषण, शोध नैतिकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों को सम्मिलित किया गया है, जिससे शोधार्थियों की बौद्धिक क्षमता और शोध कौशल का विकास हो सके। इस अवसर पर सह संयोजक डॉ. पूर्णिमा शर्मा, डॉ. संतोष पुरी, डॉ मनीषा तिवारी, डॉ चेतना सिंह, परिसर प्रभारी प्रो गीता सराफ, डॉ गंगाधर ढ़ोके, प्रो नीलिमा खरे, डॉ गणेश सैंड्या, डॉ अंजनी सूर्यवंशी सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य, शोध मार्गदर्शक, नवप्रवेशी शोधार्थी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।