
अब ओड़ीसा के इस टाइगर रिजर्व में सुनाई देगी मध्यप्रदेश के इस बाघिन की दहाड़
शहडोल- बांधवगढ़ की बाघिन टी 412 की दहाड़ अब सतकोसिया टाइगर रिजर्व ओडि़शा में सुनाई देगी। बांधगवढ़ की बाघिन को सतकोसिया टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया है। बुधवार को बांधवगढ़ प्रबंधन ने मुक्त रूप से विचरण करने वाली बाघिन टी 412 को सतकोसिया टाइगर रिजर्व ओडि़शा में पुनस्र्थापन के लिए रवाना किया था। बाघिन को डॉ जेपी त्रिपाठी, डॉ भारती और डॉ नितिन गुप्ता द्वारा निश्चेत किया गया।
इसके बाद बांधवगढ़ और ओडि़शा के अधिकारियों की मौजूदगी में शाम 5 बजकर 4 मिनट में वन्यप्राणी रेस्क्यू वाहन से रवाना किया गया। इस दौरान डॉ रमेश और टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स ने मापने की प्रक्रिया के साथ बाघिन के सेंपल भी लिए गए। इसके लिए ओडि़शा राज्य से वन अधिकारी और डॉक्टरों का दल भी बांधगवढ़ आया था।
पार्क प्रबंधन के अनुसार 27 माह की ये टी412 बाघिन बांधवगढ़ की मिरचैनी वाली बाघिन के नाम से पहचाने जाने वाली टी 41 की शावक है। जिसे सीडब्लूएलडब्लू और एनटीसीए के निर्देश पर पुनस्र्थापन के लिए ओडि़शा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व के लिए शिफ्ट किया जा रहा है।
वन्यप्राणी रेस्क्यू वाहन से बाघिन को सतकोसिया टाइगर रिजर्व ले जाया गया, इस दौरान बांधवगढ़ के फील्ड डायरेक्टर मृदुल पाठक, एडी ऋषि मिश्रा, आरओ अंबिका मरावी, आरओ धमोखर वीके श्रीवास्तव, आरके मरकाम मौजूद रहे।
इसलिए भेजी गई बाघिन
उड़ीसा राज्य में स्थित सतकोसिया टाईगर रिजर्व में बाघों के पुनस्र्थापन के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून द्वारा एक विशेष योजना तैयार की गई है। इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य द्वारा उड़ीसा राज्य को 6 बाघ (तीन जोड़े) पुनस्र्थापन के लिए दिया जाना है। भारत के संरक्षण इतिहास में पहली बार किसी टाईगर रिजर्व से बाघ को अन्य राज्य में पुनस्र्थापन के लिए भेजा गया है। हाल ही में बाघ को कान्हा नेशनल पार्क से भेजा गया था। इसके बाद अब बांधवगढ़ की बाघिन को भेजा गया है।
सतकोसिया में रॉयल बंगाल टाइगर को मिली संगिनी
ओडिशा के अनुगूल जिले के टाइगर रिजर्व सतकोसिया में मध्यप्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क से लाए गए रॉयल बंगाल टाइगर का अकेलापन दूर करने के लिए मादा टाइगर भी मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाई गई है। सतकोसिया टाइगर रिजर्व में फिलहाल दो ही टाइगर हैं, जिनकी आयु 14 साल की हो चुकी है। टाइगर की घटती संख्या के कारण वन विभाग ने टाइगर संख्या बढ़ाने के लिए टाइगर रिजर्व को प्रजनन केंद्र की तरह विकसित कर रहा है। वन विभाग की टीम, पशु चिकित्सक सहित गाड़ी में लाकर अनुगुल पहुंच चुके हैं। उसे ट्रैंक्युलाइजर बेहोश करके लाया जा रहा है। मादा टाइगर के लिए विशेष बाड़ा बनाया गया है।
Published on:
29 Jun 2018 12:39 pm
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