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40 करोड़ रु. बंटे, फिर भी बिखरे सपने

- नगर पालिका एक भी सूची नहीं कर पाई पूरी पीएम आवास का सपना संजोए अधिकांश लोगों मिली आधी-अधूरी किश्त

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40 करोड़ रु. बंटे, फिर भी बिखरे सपने

40 करोड़ रु. बंटे, फिर भी बिखरे सपने

श्योपुर
पीएम आवास योजना में जिस भी गरीब परिवार का नाम आता है, उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है, लेकिन नगर पालिका क्षेत्र के कई हितग्राही ऐसे हैं, जिन्हें पीएम आवास बनाने की स्वीकृति तो मिल गई, साथ ही पहली किस्त भी जारी हो गई, इसके चक्कर में हितग्राहियों ने नया घर बनाने के लिए अपना पुराना मकान तोड़ डाला, लेकिन अफसोस की बात ये हैं कि हितग्राहियों को दूसरी व तीसरी किस्त जारी नहीं हुई, ऐसे में टूटे और अधूरे मकान के बीच हितग्राही बेघर हो गए हैं। दूसरी और तीसरी किस्त के लिए हितग्राही नगर पालिका के चक्कर काट रहे हैं
नगर पालिका ने 6 सालों में 23 वार्डों के लिए 8 डीपीआर (हितग्राही सूची) बनवाई। इनमें हितग्राहियों को 40 करोड़ रुपए बांटे। इसके बाद भी 8 सूची अब तक पूरी नहीं हुई। यानि किसी न किसी हितग्राही की दूसरी व अंतिम किस्त नगर पालिका में बकाया है। हितग्राही योजना के चक्कर में अपना मकान तोड़कर किराए के मकानों में रह रहे हैं। विधायक से लेकर अफसरों तक किस्तों दिलाने की गुहार लगा चुके हितग्राहियों की न तो अफसर सुन रहे हैं न ही नपा।
किराए के घर में रहने को मजबूर हितग्राही
आलम ये है कि कोई सालों से किराए के मकान में रहने को मजबूर है, तो कोई बिना छत ही रहने को मजबूर, किसी का परिवार एक दो कमरे में जीवन बसर कर रहा है, तो कोई उस आधे अधूर मकान में ही पन्नी लगाकर अपने परिवार के साथ रह रहा है, इस उम्मीद के साथ कि शायद अब कहीं उनकी दूसरी किस्त आ जाए और वो अपने मकान को पूरा कर सकें. लेकिन ये सपना भी अब टूटता जा रहा है।
किस्त की आस अब तक नहीं हुई पूरी
रामनिवास बैरवा वार्ड-11 अम्बेडकर नगर
कुछ समय पहले एक लाख की किस्त मिली थी, आगे की किस्त नहीं आने से रामनिवास के मकान की छत रह गई। वह दूसरी किश्त के इंतजार में हैं। अभी किराए के मकान में रहकर गुजर बसर कर रहे हैं।
गप्पूलाल प्रजापति वार्ड 10 मोहनजी की बगीची
इनको पहली और दूसरी किश्त मिल गई। जिससे इन्होंने मकान तो पूरा बना लिया, लेकिन तीसरी किस्त नहीं मिलने के कारण प्लास्टर अटका पड़ा है। तीसरी किश्त के लिए नगर पालिका के चक्कर काट रहे हैं।
कौन-कौन हैं जिम्मेदार
नपा प्रशासक व सीएमओ: बीएलसी किस्तों के न मिलने पर अफसरों को हितग्राहियों ने बार-बार शिकायत की। फिर भी उन पर ध्यान नहीं दिया गया।
बीएलसी शाखा प्रभारी: इन्हें डीपीआर मिलने के बाद हितग्राहियों को किस्तें पहुंचाने के लिए दस्तावेज ऑडिट शाखा को भेजने होते हैं।