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जान की बाजी लगाकर संक्रमितों को अस्पताल पहुंचा रहे एंबुलेंसकर्मी

कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में योद्धा की तरह मैदान में डटे 108 एंबुलेंसकर्मी

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जान की बाजी लगाकर संक्रमितों को अस्पताल पहुंचा रहे एंबुलेंसकर्मी

जान की बाजी लगाकर संक्रमितों को अस्पताल पहुंचा रहे एंबुलेंसकर्मी

श्योपुर. न खाने का पता और न नींद का। फोन बजते ही निकल जाते हैं ड्यूटी पर। यूं तो मरीज की जंग किसी भी रोग से हो, मगर इन दिनों कोरोना संक्रमण काल में इनकी ड्यूटी मुश्किल हो गई है। यहां बात हो रही है 108 एबुलेंस स्टाफ की। जो ऐसे मुश्किल दौर में भी एक योद्धा की तरह कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। इस लड़ाई में 108 एंबुलेंसकर्मी भी अपनी जान की बाजी लगाकर कोरोना संक्रमित और संदिग्ध मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं।


दरअसल श्योपुर जिले में 108 एंबुलेंस की 7 गाड़ी संचालित हैं। मरीजों की सुरक्षा की दृष्टि से एक एंबुलेंस कोरोना मरीजों की सेवा में लगी है, जबकि 6 एंबुलेंस अन्य मरीजों को आपातकालीन स्थिति में अस्पताल पहुंचा रही हैं। कोरोना मरीजों की सेवा में लगी एंबुलेंस, जहां कोरोना संक्रमित मरीज मिले, उनको वहां से लेकर अस्पताल छोड़कर आई। वहीं 80 से ज्यादा संदिग्धों को भी अस्पताल लेकर पहुंची। परिजनों से दूर रहकर 24 घंटे अपनी सेवा दे रहे एंबुलेंसकर्मी बताते हैं कि कोरोना संक्रमित मरीज को सुरक्षा के बीच अस्पताल छोड़कर आने के बाद न सिर्फ खुद सेनेटाइज होते हैं, बल्कि एंबुलेंस को भी सेनेटाइज करते हैं, वहीं परिवार के लोगों से भी दूरी बनाकर रखते हैं, ताकि कोरोना संक्रमण फैले नहीं।


जनसेवा है उद्देश्य


108 ज्वाइन करने के पीछे उद्देश्य जनसेवा का था। जान-जोखिम में डालकर भी नहीं डगमगाना अपने माता-पिता से सीखा है। संकट की इस घड़ी में जब पूरा देश कोरोना से जंग लड़ रहा है तो ऐसे समय में हम 108 सेवा के कर्मचारी भी पीछे कैसे रह सकते हैं।
रामवरन धाकड़, पायलेट
कोरोना को हराना है
108 का काम ही इमरजेंसी सेवा देना है, फिर चाहे कोरोना हो या कुछ और। आमजन की सेवा करना हमारा धर्म है, फर्ज निभाने में जान जोखिम में डालकर भी सेवा कर रहे हैं। आगे भी करते रहेंगे। हमें हर हाल में कोरोना को हराना है।
सतीश धाकड़, ईएमटी


देश की सुरक्षा ही हमारी सुरक्षा


कोरोना के संकट काल मेंं भी हम लोग 108 में सेवा दे रहे हैं, क्योंकि देश की सुरक्षा ही हमारी सुरक्षा है और अपनी सेवा दे रहे हैं, ऐसे में मरीज चाहे पॉजिटिव हो या नेगेटिव। हम उनको घर से चिकित्सालय छोड़ रहे हैं। हमें कोरोना से जंग जीतना है।
दिलीप धाकड़, ईएमटी


सुरक्षा का भी रख रहे ध्यान


संकट की इस घड़ी में देश को बचाने के साथ ही खुद को भी बचाना जरूरी है। इसलिए सुरक्षा किट पहनकर पूरी सावधानी से मरीजों को ला रहे हैं। ये भी सच्ची देश सेवा की श्रेणी में ही आता है। हमारे कई भाई सीमा पर अपनी सेवा दे रहे है। हम भी देश के अंदर ऐसे ही सेवा कर रहे हंै।
वीरपाल धाकड़, पायलेट