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खेलते समय कुए में गिरा मासूम, छात्र ने जान की बाजी लगाकर निकाला बाहर, देखें वीडियो

जैन मंदिर के अंदर बने कुए में हुई घटना, ग्वालियर से अपने मामा के घर आया था मासूम

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खेलते समय कुए में गिरा मासूम, छात्र ने जान की बाजी लगाकर निकाला बाहर

खेलते समय कुए में गिरा मासूम, छात्र ने जान की बाजी लगाकर निकाला बाहर

शिवपुरी। जिले के भौंती कस्बे में स्थित जैन मंदिर के अंदर बने एक कुए में सोमवार को सुबह एक मासूम खेलते-खेलते हुए गिर गया। साथ खेल रहे बच्चों ने शोर मचाया तो पास में ट्यूशन पढऩे आया एक नाबालिग छात्र बच्चे को बचाने के लिए कुए में कूदा और फिर लोगों ने दोनों को सकुशल बाहर निकाल लिया। बच्चा ग्वालियर से अपने मामा के घर आया था।

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कुए से बच्चे को बाहर निकालने वाले छात्र का वैश्य समाज होली वाले दिन सम्मान करेगा। जाको राखे साईयां, मार सके न कोए, यह कहावत उस समय चरितार्थ हुई, जब आज सुबह करीब 9 बजे भौंती कस्बे के जैन मंदिर के अंदर बने कुए मेें दिखाईदी। यहां पर कुछ बच्चें खेल रहे थे और एक बच्चा आयु (7) पुत्र विनोद बंसल कुए में गिर गया। जैसे ही बच्चा कुए में गिरा तो साथ मौजूद अन्य बच्चे शोर मचाने लगे। बच्चों का शोर सुनकर मंदिर के पास ट्यूशन पढऩे आया छात्र शिशुपाल लोधी (15) निवासी टपरियन ने बिना कुछ सोचे-समझे सीधे ही कुए में छलांग लगा दी और पानी में डूब रहे आयु को बचा लिया।

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बाद में अन्य लोग मौके पर आए जिन्होंने रस्सी व बाल्टी सहित अन्य तरीकों से शिशुपाल व आयु को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। बताया जा रहा है कि वैसे तो कुए पर लोहे का जाल डला है और उसमें एक ढक्कन है। इस ढक्कनन को कोई पानी भरने के बाद खुला छोड़ गया था, जिसके चलते बच्चा उस कुए में खेलते-खेलते गिर गया। कुए में वर्तमान में करीब 20 से 25 फीट पानी है।

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पहले लटका, फिर बच्चे की जगह देखकर कूदा
मासूम आयु को बचाने के लिए शिशुपाल पहले तो कुए के जाल में लटका और फिर उसने पहले पानी में बच्चे की जगह देखी कि वो कहां पर है, क्योंकि उसे यह डर था कि कहीं वो बच्चे पर ही न कूद जाए। उसने लटक कर चंद सैकेंड में ही कूदने की जगह ढूंढी और छलांग लगा दी। मासूम को सुरक्षित बचाए जाने के बाद लोगों में यही चर्चा थी कि ईश्वर ने आयु को बचाने के लिए ही शिशुपाल को भेजा।







जान की बाजी लगाने वाले छात्र का होगा सम्मान
कुए में गिरे बच्चे आयु के मामा दिवाकर अग्रवाल ने बताया कि उनके भांजे की जान बचाने वाले साहसी शिशुपाल का होली वाले दिन जैन विवाह घर में सम्मान किया जाएगा। यह सम्मान कार्यक्रम वैश्य समाज द्वारा होगा, इसमें पूरे गांव के लोगों को बुलाया गया है। दिवाकर का कहना है कि हम शिशुपाल का एहशान जिंदगी भर नही उतार सकते जिसने बिना कोई पहचान व स्वार्थ के हमारे भांजे को मौत के मुहं से निकाल लिया।