इसके बाद भी यहां पर अभी तक केाई काम शुरू नहीं कराया गया। कटान स्थलों की देखरेख के लिए अधिकारियों को लगाया गया है। कटान स्थलों की निगरानी के लिए जिलाधिकारी ने सभी 27 संवेदशील कटान स्थलों की निगरानी के लिए जिला स्तरीय अधिकारियों को लगाया है। जिससे कि वहां की स्थिति के बारे में निरंतर जानकारी मिलती रहे और जिससे कि किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटा जा सके। जिले में 11 ऐसे अति संवेदनशील कटान स्थल जहां पर कभी भी बड़ी तबाही मच सकती है। इन कटान स्थलों में पूर्व के वर्षों में हुए कटान स्थल भी शामिल है।
सिंचाई निर्माण खंड ने जिले के बूढी राप्ती नदी के कोडरवा के पास हो रही कटान, राप्ती के नरकटका, सिंगारजोत, सौनौली, जनका, ककरहीं, बेतनार, बूढी राप्ती के ककरही व डेगहर के पास हो रही कटान अति संवेदशील की स्थिति में है जहां पर लगातार कटान जारी रहा तो बांध का भी अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इसके अलावा बूढी राप्ती के तनेजवा, भुतहिया, बानगंगा बरैनिया, जमुआर नाला का पुराना नौगढ़, कूडा नदी पर इमिलिहा व महुआ के पास होने वाली कटान को अति संवेदनशील के रूप में चिन्हित किया है। इसके बाद भी अभी तक यहां पर किसी भी प्रकार का बचाव कार्य शुरू नहीं किया जा सका है।
अगर समय रहते कटान स्थलों पर बचाव कार्य नहीं कराया गया तो बाढ़ के दौरान स्थिति काफी खराब हो जाएगी। विभाग धन का इंतजार कर रहा है लेकिन अभी तक बचाव कार्य के लिए बचाव कार्य नहीं हो पा रहा है। कोट, बचाव कार्य के लिए अभी तक धन नहीं मिलने के कारण बचाव कार्य शुरू नहीं कराया जा सका है। इसके लिए कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजी गई है लेकिन अभी तक संस्तुति नहीं मिलने के कारण धन आवंटित नहीं हो सका है। धन मिलने पर बचाव कार्य शुरू करा दिया जाएगा। आरके मेहरा, अधिशासी अभियंता, सिंचाई निर्माण खंड
input सूरज सिंह