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सीधी में चमरौही नृत्य से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तरोताजा हुई लोक संस्कृति की पहचान

महाउर महोत्सव... लोककला ग्राम रामपुर में हुआ आयोजन

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Identify the folk culture that frescoes internationally from dance

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सीधी. अंतरराष्ट्रीय महाउर कला महोत्सव के चौथे दिन रामपुर में लोककलाओं का प्रदर्शन हुआ। जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर मड़वास मार्ग पर स्थित यह गांव अहिराई, कोलदहका, चमरौंही, श्रम गीत के लिए पहचाना जाता है। यहां रहने वाले यादव समाज के लोगों का अहिराई नृत्य प्रदेश भर में चर्चित है। सैकड़ों प्रस्तुतियां राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय महोत्सवों में हो चुकी है। राजभान साहू के संयोजन में इस गांव के अन्य कलारूप भी मंच प्रस्तुतियों से जुड़ रहे हैं।

महाउर माहेत्सव मध्यप्रदेश की है पहचान
यहां महाउर महोत्सव के तहत अहिराई नृत्य का प्रदर्शन किया गया। बघेलखंड के अलावा अन्य क्षेत्रों में इसे बरेदी नृत्य, गहिरा नृत्य, धनगर नृत्य आदि नामो से जाना जाता है। इसमें बिरहा गायन दोहे के साथ महिला-पुरुष दोनों सामूहिक रूप से नृत्य करते हैं। पहले शादी व्याह के मौकों पर इस नृत्य में महिला-पुरुष प्रतिस्पर्धा के रूप में स्वीकार किया जाता है। दूसरी प्रस्तुति आदिवासी जनजाति के लोगों ने कोलदहका की प्रस्तुति दी। इसके अलाला चमरौहीं की प्रस्तुति भी आकर्षक रही।

देश-विदेश से नाटक मंचन में लोग रहे भाग
इस मौके पर गुरुदत्त शरण शुक्ल, रंजना मिश्रा, नीरज कुंदेर, नरेंद्र बहादुर सिंह, रोशनी प्रसाद मिश्र, करुणा सिंह, राहुल वर्मा, रजनीश जायसवाल, प्रजीत कुमार साकेत, प्रवीण पांडेय, देवेंद्र पटेल, सौरभ राय, रुपेश कुमार मिश्र, भूपेंद्र पटेल, केशव ठाकुर, प्रतीक वर्मन, मनी शर्मा सहित 5 ग्रामों के सैकड़ों कलाकार एवं दर्शकगण उपस्थित रहे। रामपुर गांव में भ्रमणशील लोकरंग महाउर उत्सव के प्रदर्शन के बाद अब महाउर के दूसरे पड़ाव नाट्य एवं लोकरंग उत्सव के रूप में 12 फरवरी तक देश-विदेश के नाटकों का प्रदर्शन सीधी शहर के मानस भवन में होगा।