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बारिश के सीजन में बढ़ने लगे सर्पदंश और डॉग बाइट के मामले

मानसून की बारिश के बाद जिले में सर्पदंश और डॉग बाइट के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। सीकर के कल्याण अस्पताल एंटी रेबीजवेक्सीन कक्ष में हर दिन औसतन एक से दो मरीज सर्पदंश या डॉग बाइट के शिकार होकर पहुंच रहे हैं। एसके अस्पताल की ट्रोमा यूनिट में रोजाना एक से दो मरीज स्नेक […]

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Snake Bite

राजस्थान में सर्वाधिक जहरीला सांप ऐनेसिस क्रेट। फोटो- पत्रिका

मानसून की बारिश के बाद जिले में सर्पदंश और डॉग बाइट के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। सीकर के कल्याण अस्पताल एंटी रेबीजवेक्सीन कक्ष में हर दिन औसतन एक से दो मरीज सर्पदंश या डॉग बाइट के शिकार होकर पहुंच रहे हैं। एसके अस्पताल की ट्रोमा यूनिट में रोजाना एक से दो मरीज स्नेक बाइट के आ रहे हैं। अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार, सांप काटने के अधिकतर मामले लक्ष्मणगढ़, दांता, खाटू और फतेहपुर इलाकों से आ रहे हैं, जहां खेत और झाड़ियों की भरमार है। वहीं डॉग बाइट के केस शहर के भीतरी इलाकों से आ रहे है। कई मरीज देर रात लाए जाते हैं, जब सांप अपने बिल से बाहर निकलते हैं। वहीं, डॉग बाइट के मामले खासकर बच्चों में देखने को मिल रहे हैं, जिनमें से अधिकांश बच्चे सड़कों पर घूमने वाले निराश्रित श्वान के काटने से अस्पताल पहुंचे हैं।

अच्छी बात है कि कल्याण अस्पताल में जून माह में 32 मरीजों की जान एंटी स्नेक वैक्सीन से बचाई गई, जो पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं अस्पताल के वार्ड और ट्रोमा यूनिट में एंटी रेबीज और एंटी वेमन की वायल हर समय उपलब्ध रहती है।

बारिश में इसलिए बढ़ते हैं ऐसे मामले

एसके अस्पताल के ट्रोमा यूनिट प्रभारी फूलचंद जांगिड़ ने बताया कि बारिश में पानी भरने से सांप अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं और सूखे स्थानों की तलाश में इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ते हैं। सांप के काटने के बाद उसके जहर से इतने लोगों की मौत नहीं होती, जितनी घबराहट के कारण लोग मर जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार करीब 80 फीसदी सांप ऐसे होते हैं, जिनमें जहर नहीं होता है और उनके काटने से किसी की मौत नहीं होती है। वहीं कुछ सांप कम जहरीले होते हैं और उनके काटने के बाद सही समय पर इलाज मिल जाए तो मरीज की जान आसानी से बचाई जा सकती है। चिकित्सकों के अनुसार बारिश में भोजन की कमी और भीगने से श्वान और केनाइन्स प्रजाति के जीवों में चिड़चिड़ापन बढ़ता है, जिससे वे अधिक आक्रामक हो जाते हैं। ऐसे में खेतों या झाड़ियों में काम करते समय हमेशा जूते और पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें। घर के आसपास घास और झाड़ियां साफ रखें। बच्चों को केनाइन व श्वान दूर रखें और खेलने के समय सतर्क रहें।

जिले में दो माह की स्थिति

महीना सर्पदंश डॉग बाइट केट बाइट

जून-2025 32 137 16

जून- 2024 24 45 14

फौरन करवाएं उपचार

ट्रोमा यूनिट में रोज एक- दो मरीज सर्पदंश के आ रहे हैं। जून में 32 मरीजों के एंटी स्नेक वेमनसीरम लगाकर जान बचाई गई है। स्नेक या डॉग बाइट होने पर घरेलू उपचार या झाड़-फूंक पर भरोसा न करें फौरन नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाएं, इसमें देरी जानलेवा हो सकती है।

डॉ. शीबा सेठी, प्रभारी व नोडल अधिकारी