
राजनीति हो या क्रिकेट का मैदान। राजस्थान में सियासत अपने चरम पर है। पार्टियों में घमासान चल रहा है तो विधानसभा में दंगल की तैयारी है लेकिन असली दंगल तो खिलाड़ियों की जिंदगी में है। अब प्रदेश में न तो उन्हें सही से खेलने को मिल रहा है और न ही उन्हें खेल कोटे की नौकरी। बेहद गंभीर बात यह है कि पदक पाने वाले खिलाड़ी नौकरी के लिए दर दर भटक रहे हैं। अशोक गहलोत सरकार एक तरफ खिलाड़ियों के मुफीद नियम बनाने का दावा कर रही है। आऊट ऑफ टर्न नियम के जरिए तत्काल नौकरी का सपना दिखाया जा रहा है। अब यही सपना उनके लिए दर्द बन गया है। प्रदेश हो रही राजनीति के कारण हर बार नियम बदल जाती हैं और खेल कोटे की 90 फीसदी तक पद खाली रह जाते हैं।
अब लड़ाई का एलान
खिलाड़ियों ने इस मामले में अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान भी किया है। इसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खिलाड़ियों को न्याय दिलाने के लिए न्यायालय में याचिका भी दायर की है। इन खिलाड़ियों का आरोप है कि सरकार ने अन्य राज्यों की नीतियों का परीक्षण कराए बिना यहां के खिलाड़ियों पर नए नियम थोप दिए। इस वजह से कई सालों से नौकरी की तैयारी में जुटे खिलाड़ियों के अरमान टूट गए है।
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राहुल गांधी को भी बता चुके पीड़ा
खेल विभाग और कार्मिक विभाग के नियमों की वजह से एक साल से परेशान होना पड़ रहा है। खिलाड़ियों ने बताया कि पिछले एक साल में कई विधायक मुख्यमंत्री व खेलमंत्री को खिलाड़ियों की समस्या के संबंध में पत्र लिख चुके है लेकिन अभी तक खिलाड़ियों की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। राहुल गांधी की यात्रा दौरान खिलाड़ियों ने नियमों में बदलाव की मांग रखी। आश्वासन मिला लेकिन राहत नहीं।
शहरी व ग्रामीण ओलम्पिक का क्या मतलब
युवाओं के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए लगातार नए खेल भी आ रहे हैं। सिर्फ मंत्रालय से सम्बद्ध होने की वजह से यदि इन खेलों के खिलाड़ियों को नौकरी नहीं दी जाएगी तो इन खेलों से खिलाड़ियों की डोर कैसे मजबूत होगी। खिलाड़ियों ने इस मामले में सरकार के शहरी व ग्रामीण ओलम्पिक खेलों की मंशा पर भी सवाल खड़े किए है।
कैसे तैयार होगी खिलाड़ियों की फौज
सरकार की ओर से खिलाड़ियों की नई पीढ़ी तैयार करने के लिए ग्रामीण व शहरी ओलम्पिक जैसे नवाचार किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ मंत्रालय से सम्बद्ध खेलों के खिलाड़ियों को नौकरी नहीं दी जा रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि हर साल मंत्रालय से सम्बद्ध खेलों के 700 से अधिक खिलाड़ी विभिन्न प्रतियोगिताओं में पदक जीतते है। नौकरी नहीं मिलने की वजह से इन खिलाड़ियों का मनोबल टूट रहा है।
फिर खिलाड़ियों का भला करने की मंशा कैसे पूरी होगी: मंसूरी
राजस्थान स्टेट बॉल बैडमिंटन एसोसिएशन के महासचिव शौकत अली मंसूरी ने कहा कि नियमों में बदलाव से खिलाड़ियों की परेशानी बढ़ी है। खिलाड़ियों के हित में नियमों की नए सिरे से समीक्षा करानी चाहिए। नियमों में बदलाव की वजह से कई भर्तियों में खेल कोटे क पद भी खाली रह रहे है इससे सरकार की खिलाड़ियों के भला करने की मंशा भी पूरी नहीं हो रहा है।
नियमों में बदलाव समझ से परे
राजस्थान सॉफ्टबॉल एसोसिएशन के महासचिव इंद्रप्रकाश टिक्कीवाल ने कहा कि सरकार यदि हकीकत में खिलाड़ियों का भला चाहती है तो इस साल होने वाली एक लाख भर्तियों से पहले पुराने नियम ही लागू करने चाहिए। खास बात यह है कार्मिक विभाग व खेल विभाग ने बिना किसी के सुने जबरदस्ती नियम खिलाड़ियों पर थोप दिए गए। इनको राजस्थान के खिलाड़ी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।
Published on:
10 May 2023 12:57 pm
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