व्यापारियों की ओर से लिया जा रहा डिजिटल लेनदेन का सहारा
विधानसभा चुनाव के दौरान धनबल को रोकने के लिए निर्वाचन आयोग के कायदों से डिजिटल भुगतान को और बढ़ावा मिला है। किसानों से लेकर व्यापारियों व युवाओं की ओर से डिजिटल पेमेंट का जमकर सहारा लिया जा रहा है। दरअसल, निर्वाचन विभाग के अनुसार 50 हजार से अधिक की नगदी ले जाने पर कई तरह के साक्ष्य दिखाने होते है। कागजी प्रक्रिया से बचने के लिए लोगों को डिजिटल भुगतान काफी रास आ रहा है।
केस एक: दिल्ली से माल लेकर आना, डीलर को यही से कराया भुगतान
रेडिमेड कारोबार से जुड़े व्यापारी अनिल चौधरी ने बताया कि त्योहारी सीजन को देखते हुए दीवाली के लिए दिल्ली से माल लाना है। हर बार नगद पैसे ले जाते और माल लेकर आ जाते, लेकिन इस बार आयोग की सख्ती को देखते हुए फैसला बदल लिया। उन्होंने अब कंपनी के खाते में आरटीजीएस के जरिए भुगतान करवा दिया।
केस दो: मंडी के बजाय व्यापारी को बुलाया
किसान रूघाराम ने बताया कि सरसों की फसल रखी हुई थी। मंडी व नगदी लेकर आने की परेशानी से बचने के लिए व्यापारी को सीधे खेत बुलाकर फसल बेच दी। किसान श्यामसिंह ने बताया कि मंडी में फसल बेचने पर व्यापारियों की ओर नगद भुगतान की पर्ची दी जाती है, इसके बाद भी नाकों पर तैनात कर्मचारियों की ओर से कई सवाल-जवाब किए जाते है। ऐसे में ज्यादातर किसानों की ओर से खुद व्यापारियों को खेत में बुलाकर पुरानी फसलों का बेचान किया जा रहा है।
केस तीन: रिश्तेदार से कराया गाड़ी का भुगतान
सीकर निवासी अश्विनी शर्मा ने बताया कि उनकी दो नवम्बर की कार की बुकिंग थी, लेकिन कार नहीं मिलने पर जयपुर में बुकिंग करा दी। भुगतान की समस्या को देखते हुए कई परिचितों से ऑनलाइन भुगतान कराया।
एक्सपर्ट व्यू...
चुनाव आयोग की सख्ती से प्रदेशभर में ऑनलाइन लेनदेन को काफी बढ़ावा मिला है। जहां तक हो सके सभी को लेनदेन बैंको की आधिकारिक एप्प या पोर्टल के माध्यम से ही करना चाहिए। आचार सहिंता के दौरान नगदी का रिकॉर्ड भी साथ रखना चाहिए। यूपीआई लेनदेन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। इससे समय की भी बचत होती है।
सुधेश पूनियां, नेशनल यूथ अवॉर्डी