- शिव नरेश कंपनी ने सिंथेटिक एथलेटिक ट्रेक के बीच बने मैदान में गर्मियों में दूब लगाने में लाखों रुपए के खर्च से बचने के लिए बारिश में लगाई घास - 25 अगस्त के बाद होने वाली सेना भर्ती के चलते अब कलक्टर व जिला प्रशासन आया सकते में, ट्रेक को हैंडओवर करने के दिए निर्देश
सीकर. सीकर शहर में 38 साल पहले 1987 में जिला खेल स्टेडियम बनवाया गया था। राज्य सरकार की ओर से बजट घोषणा- 2023-2024 में स्वीकृत राशि 8.60 करोड़ रुपए की लागत से सिंथेटिक एथलेटिक ट्रेक फरवरी माह में ही बनकर तैयार हो गया है। सिंथेटिक एथलेटिक ट्रेक का काम कर रही कंपनी शिव नरेश को ट्रेक के बीच में खाली जगह में घास लगानी थी लेकिन पिछले पांच माह में शिव नरेश कंपनी ने लाखों रुपए के खर्चे से बचने के लिए घास नहीं लगाई। अब जब बारिश हुई तो घास लगा दी लेकिन अब भी जिला खेल अधिकारी को ट्रेक हैंडओवर नहीं किया है। कंपनी प्रतिनिधि की ओर से ट्रेक के ताला लगाया हुआ है। ऐसे सिंथेटिक ट्रैक के बीच बनने वाले स्टेडियम में दौड़, फुटबॉल, हॉकी के मैच भी हो सकेंगे। पूर्व में सिंथेटिक ट्रेक में एक्सपायरी डेट का केमिकल लगाने के मामले को भी राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया था।
सिंथेटिक एथलेटिक ट्रेक 105 मीटर लंबा व 70 मीटर चौड़ा है। 400 मीटर सिंथेटिक ट्रैक पर एथलीट अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत तैयारी कर सकेंगे। 33 साल बाद बने सिंथेटिक ट्रेक के तैयार होने के पांच माह बाद भी शिव नरेश कंपनी ने हैंडओवर नहीं किया है। इसका सीधा खामियाजा यहां के सैकड़ों एथलीटों व खिलाड़ियों को हो रहा है। अब जब 26 अगस्त से सेना भर्ती होने वाली है तो जिला कलक्टर मुकुल शर्मा ने खेल अधिकारियों पर दबाव बनाकर ट्रेक को जल्द हैंडओवर करवाने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
शिव नरेश कंपनी को फरवरी या मार्च माह में ही सिंथेटिक एथलेटिक ट्रेक के बीच में बने मैदान पर लोन लगाना था। लेकिन गर्मियों का मौसम कगार पर आने के चलते पानी की व्यवस्था व लगातार लोन में पानी देने के खर्चे से बचने के लिए घास नहीं लगाई। ऐसा करके संबंधित कंपनी ने गर्मियों में लोन में पानी देने व मेंटीनेंस के लाखों रुपए तो बचा लिए लेकिन सैकड़ों एथलीटों व खिलाड़ियों की तैयारी व उनके सपनों पर पानी फेर दिया।
जिला खेल स्टेडियम में बने मिट्टी व कंक्रीट के ट्रेक पर जगह-जगह गड्डे हो रखे हैं। व तेज बारिश में इस सिंथेटिक एथलेटिक ट्रेक पर पानी भर जाता है। ऐसे में एथलीट व अन्य खिलाड़ी सिंथेटिक ट्रेक बनने के बाद भी पानी भरे कंक्रीट व मिट्टी के ट्रेक पर दौडने को मजबूर हो रहे हैं। जिला प्रशासन व खेल अधिकारियों ने भी ट्रेक को हैंडओवर करने के पिछले पांच माह में सतत प्रयास नहीं किए।
सिंथेटिक एथलेटिक ट्रेक का काम करीब फरवरी माह में ही पूरा हो गया था। गर्मियों में घास नहीं लगती, ऐसे में कंपनी ने ट्रेक हैंडओवर नहीं किया था। अगस्त माह में सेना भर्ती भी आयोजित होगी, ऐसे में हमने ट्रेक को हैंडओवर करने को लेकर पूर्व में भी शिव नरेश कंपनी को पत्र लिखे थे। जल्द ही ट्रेक हमें मिलने की संभावना है।