भारतीय फिलहाल राजकीय प्राथमिक विद्यालय नंबर 9 फतेहपुर में कार्यरत है। जनवरी 2021 में जब वह इस विद्यालय में आई तो दस विद्यार्थियों के साथ खंडहरनुमा जीर्ण-शीर्ण विद्यालय भवन मिला। विद्यालय में जर्जर कक्षा कक्षों के अलावा विद्यार्थियों के पेयजल के भी इंतजाम नहीं थे और बिजली का कनेक्शन भी नहीं था। इस वजह से विद्यालय का नामांकन भी नहीं बढ़ रहा था। उन्होंने भामाशाहों से संपर्क कर टूटे-फूटे कोठरी नुमा कमरों को खुले हवादार कक्षा कक्षा का रूप दिलवा दिया। शिक्षिका ने अपने खर्चे पर स्कूल के भवन में बिजली की फिटिंग भी करवा दी। विद्यालय में संसाधन बढ़ने पर नामांकन भी खुद बढ़ने लग गया।
वेतन से देती है मानदेय
सुविधाओं में बढ़ोतरी होने पर नामांकन भी 70 तक पहुंच गया है। विद्यालय में नामांकन बढ़ने के बाद भी विभाग की ओर से शिक्षकों की संख्या में इजाफा नहीं किया गया है। विद्यार्थयों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो, इसके लिए शिक्षिका ने अपने दम पर विद्यालय में मानदेय कर्मचारी भी लगा रखे है। इन मानदेय कर्मचारियों को शिक्षिका की ओर से वेतन दिया जाता है।
यहां भी बदले हालात
इससे पहले भी शबनम भारतीय जिन विद्यालयों में भी वहां के हालातों को बदलने में काफी हद तक सफल रही है। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय मंडेला छोटा, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नंबर 13 फतेहपुर, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय ताजसर आदि विद्यालयों में भामाशाहों से काफी सुविधा बढ़ोतरी कराई। मंडेला छोटा में उन्होंने 8-10 लाख के निर्माण कार्यों के साथ प्रत्येक कक्षा कक्ष में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जिससे शिक्षा के साथ बच्चों को सुरक्षा भी मिले। राजकीय विद्यालय नंबर 13 में उन्होंने अपने वेतन से ऑटो व्यवस्था कर नामांकन में 40 से 50 बच्चों की बढ़ोतरी की।