
Martyr soldiers wifes karva chauth Vrat In shekhawati rajasthan
सीकर.
पति का साथ नहीं, फिर भी भागन है.. सुहाग साथ छोड़ गया, लेकिन सुहागन है..। सुहाग भी ऐसा जो अमर है और लाल चुनरिया के साथ माथे पर बिंदिया और मांग भरने का जिंदगीभर का हक दे गया। यह दास्तां है शेखावाटी की उन वीरांगनाओं की, जिनके पति देश के लिए जान देकर खुद अमर और अपनी वीरांगनाओं का सुहाग अमर कर गए।
अब वही वीरांगनाए करवा चौथ के जरिए उन शहीदों की अमरगाथा की उम्र को बढ़ा रही है। शनिवार को भी इन वीरांगनाओं ने करवा चौथ पर न केवल उपवास रखा। बल्कि, हाथों में मेहंदी से लेकर माथे पर बिंदी और मांग में सिंदूर लगाने तक का सुहागन का हर शृंगार किया। बात चाहे सीकर के सिंगडौला के शहीद बनवारी लाल की वीरांगना संतोष देवी की हो, झुंझुनूं के शहीद इन्द्रसिंह सैनी की पत्नी शारदा देवी, बागरियावास गांव के शहीद सुल्तान सिंह की पत्नी सजना देवी की हो या झुंझुंनू के मंडावा की वीरांगनाएं बरखा देवी और राजकुमारी हो।
सभी अपने शहीद पतियों की अमरगाथा करवा चौथ का व्रत रखकर अमिट करती नजर आई। दिनभर उपवास रख इनमें से किसी ने चांद का दीदार कर व्रत खोला, तो किसी ने शहीद पति की तस्वीर देखकर। सुहागिनों के हर शृंगार और निशानियों के साथ करवा चौथ की हर रस्म अदायगी ने हर किसी को इनके जज्बे को सलाम करने को मजबूर कर दिया।
जहन में जज्बा, आंखों में नमी
करवा चौथ पर पत्रिका संवाददाताओं ने वीरांगनाओं से बात भी की। इस दौरान पति की याद में नम होती आंखों के बीच वीरांगनाओं के जहन और जुबां पर फख्र का भाव भी नजर आया। वीरांगनाओं का कहना था कि कौन कहता है वह सुहागिन नहीं है। बहुत कम महिलाएं होती हैं, जिनको वीरांगना कहलाने का हक मिलता है।
वह सौभाग्यशाली है कि उनके पति देश के लिए कुर्बान होकर हमेशा के लिए अमर हो गए। वह कहती है कि करवा चौथ के दिन वह चांद में अपने पति का अक्स देखती है और उनकी तस्वीर देखकर व्रत खोलती है। 2000 में जम्मू कश्मीर में शहीद हुए बागरियावास के शहीद सुल्तान सिंह की वीरांगना सजना देवी का कहना था कि वह पिछले 17 वर्षों से सुहागन की तरह व्रत कर रही है और आगे भी आजीवन इस व्रत को निभाएगी।
Published on:
28 Oct 2018 10:40 am
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