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VIDEO : जैसे मेरे पति की हुई मौत वैसे गांव में किसी की जा सकती है जान, जानिए क्यों?

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Nani village man drowns in water Bikaner jaipur road side

सीकर. सरकारी लापरवाही ने फिर एक जिदंगी लील ली। नानी इलाके के लोग पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर सरकारी सिस्टम को जगा रहे थे। यहां समस्या थी जलभराव की। लेकिन जिम्मेदारों ने मौका देखना तक उचित नहीं समझा। शहर से महज छह किलोमीटर दूर स्थित गांव नानी में शुक्रवार को दिनभर अफसरों की लापरवाही चीख-पुकार सुनाई दी। हर कोई अफसरों को कोस रहा था। पैर फिसलने से एक व्यक्ति नाले में जा गिरा। दूसरे दिन सुबह लोगों को शव तैरत दिखा तो सड़क पर उतर आए।

लोगों ने सीकर-सालासर मार्ग पर पानी में ही शव को रखकर प्रदर्शन किया। रास्ता जाम की सूचना पर अपर जिला कलक्टर सहित अन्य अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचे। लोगों ने सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। आखिर में जनप्रतिनिधि व अधिकारियों ने दस लाख रुपए देने का आश्वासन दिया तो लोगों का गुस्सा शांत हुआ।

बुधवार को गांव में घूम रहा था

मृतक को गांव में बुधवार आखिरी बार घूमते हुए देखा गया। इसके बाद किसी ने फूलचंद को नहीं देखा। शुक्रवार को सुबह मृतक के चाचा श्रवण गुर्जर ने नाले में शव को तैरते हुए देखा। थोड़ी देर में आस-पास के लोगों की भीड़ जमा हो गई। सूचना मिलने पर एएसपी डॉ. तेजपाल सिंह, उद्योग नगर सीआई राममनोहर, सदर थाना सीआइ रविंद्र प्रताप, एससीएसटी सैल जय सिंह तंवर दोनों थानों के पुलिस जाप्ते के साथ पहुंचे।

घर में कोहराम, मुरझाए मासूम चेहरे

मृतक फूलचंद गुर्जर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। परिवार में एक तीन वर्ष का बेटा सुनील, छह वर्ष की बेटी सोनू, पत्नी राजू देवी सहित छोटा भाई रोहिताश गुर्जर व माता-पिता हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले दस वर्षों से गंदे पानी की इस समस्या से परेशान है।

इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को शिकायत दी गई। मृतक के पिता भोलाराम गुर्जर, माता धापू देवी, भगवाना राम बाजिया, झाबरमल बाजिया, विकास पचार, रिछपाल खीचड़, पंचायत समिति सदस्य अमरदीप, रणजीत फौजी, रामदेव बाजियां आदि शव के पास ही बैठे रहे।

शहर से निकलने वाला गंदा पानी नानी बीड़ के सीवरेज डेम्प में ऑवर फ्लो होकर बहता है। यह सीधा गांव के बाहर सड़क से पहले जमा हो जाता है। आस-पास में रहने वालों के साथ सालासर जाने वाले भक्तों को काफी परेशानी होती है। ग्रामीण मुआवजे की मांग को लेकर अधिकारियों से भी उलझ गए। सबसे पहले आपदा प्रबंधन कोष से एडीएम जयप्रकाश ने चार लाख की घोषणा की।

इसके बाद कांग्रेस नेता परसराम मोरदिया ने दो लाख रुपए अपने स्तर पर देने की घोषणा की। आखिर में नगर परिषद आयुक्त श्रवण विश्नोई ने दो लाख व यूआइटी चेयरमैन दो लाख रुपए की घोषणा की हैं।

इसके बाद परिजनों ने शव उठा लिया। वहीं प्रधान ओमप्रकाश झीगर ने भी घटना पर नाराजगी जताते हुए अफसरों को जमकर घेरा। माकपा ने नानी चौराहे पर सीवरेज के पानी में मिले शव के बाद जिला प्रशासन पर नाकामी के आरोप लगाए।