
सीकर.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विवि सीकर की परीक्षा मजाक बनकर रह गई है। एक बार फिर परीक्षा से पहले पेपर वायरल हुआ है। बीएससी पार्ट प्रथम वर्ष के प्राणी विज्ञान विषय का तीसरा पेपर सोमवार सुबह ग्यारह बजे से शुरू होना था, लेकिन यह पेपर वाट्सएप पर साढ़े दस बजे ही वायरल हो गया। पेपर वायरल की सूचना राजस्थान पत्रिका ने विश्वविद्यालय प्रशासन को कर दी। लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इससे पहले भी दो बार परीक्षा से पहले पेपर वायरल हो चुके हैं। यह पेपर कुछ ही मिनटों में पूरे सीकर जिले के अलावा झुंझुनूं जिले में भी वायरल हो गया।
छात्र नेता शक के दायरे में
सूत्रों के अनुसार पेपर शुरू होने के महज एक घंटे पहले एक छात्र नेता एक सरकारी कॉलेज में पहुंच जाता है। वहां से पेपर लेकर कॉलेज गेट से बाहर आकर अपनी गाड़ी में बैठता है। पेपर को हूबहू एक खाली पेज पर कॉफी कर मोबाइल से फोटो लेकर अपने वाट्सअप स्टेट्स पर वायरल करता हैं। छात्र संगठन से जुड़े अभ्यर्थियों को पहले से इस मामले की सूचना होती है। पेपर वायरल होते ही अभ्यर्थी अपनी उत्तर पुस्तिकाओं में सवालों के जवाब ढूंढने लग जाते हैं। आधे घंटे की तैयारी के बाद कॉलेज में प्रवेश लेते हैं। इससे सवाल हल करना आसान हो जाता है। इधर इस कारण सालभर तैयारी करने वाले विद्यार्थी मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं।
परीक्षा नियंत्रक ने साधी चुप्पी
पूरे मामले में विवि के परीक्षा नियंत्रक ने चुप्पी साध रखी है। पेपर वायरल होने के बाद पत्रिका की टीम ने यह पेपर विवि के परीक्षा नियंत्रक मुनेश कुमार को परीक्षा से करीब आठ मिनट पहले दस बजकर 52 मिनट पर भेजा। इसके बाद पत्रिका टीम ने यही पेपर विवि के रजिस्ट्रार को भी परीक्षा से पहले भेजा। इसके बाद दस बजकर 53 मिनट पर परीक्षा नियंत्रक को फोन किया, लेकिन उन्होंने पूरे मामले को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद ग्यारह बजकर छह मिनट पर यही पेपर विवि के कुलपति प्रो बीएल शर्मा को वाट्सएप किया। परीक्षा खत्म होने पर जब इस पेपर का मिलान किया तो वायरल हुए पेपर के सवाल व मूल पेपर के सवाल समान मिले। इससे पहले 17 मार्च को भी बीए प्रथम वर्ष की राजनीति विज्ञान विषय की परीक्षा का पेपर वाट्सएप पर वायरल हो गया था। विद्यार्थियों ने बताया था कि शनिवार सुबह करीब 9 बजकर 45 मिनट पर पेपर वायरल हो गया था। परीक्षा सुबह ग्यारह बजे से शुरू हुई थी। यह पेपर सीकर के अलावा झुंझुनूं जिले में भी पहुंच गया था। इसके बाद विवि ने कहा था कि मामले की जांच की जा रही है। दूसरे दिन जांच कमेटी का गठन किया गया। कई कॉलेजों के सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए, लेकिन जांच रिपोर्ट का अभी खुलासा नहीं किया गया है।
फिर वही जवाब
इस मामले में परीक्षा नियंत्रक डॉ मुनेष कुमार से जवाब जानना चाहा, लेकिन उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। इसके बाद विवि के रजिस्ट्रार राजेन्द्र सिंह ढाका से बात की, तब उन्होंने कहा, जो पेपर परीक्षा से पहले वायरल हुआ है, उसकी जांच जारी है। इसके लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। कमेटी जो भी फैसला करेगी, उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। जब उनसे पूछा कि कमेटी का गठन तो पहले भी किया गया था, उसका क्या हुआ? इस पर वे स्पष्ठ जवाब नहीं दे सके।
विवि पर इसलिए उठ रहे सवाल
17 मार्च को पेपर वायरल हुआ तब कुलपति ने कहा था कि पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी,लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करवाई गई?
चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई थी, लेकिन इस रिपोर्ट को अभी तक नहीं बताया गया।
विवि ने 17 मार्च का पेपर दुबारा कब होगा, इसकी तारीख अभी तक क्यों नहीं बताई।
जिस जांच कमेटी की रिपोर्ट पर पहले कुछ नहीं हुआ, अब फिर वही मामला फिर जांच कमेटी में डाल दिया गया।
Updated on:
17 Apr 2018 11:39 am
Published on:
17 Apr 2018 11:35 am
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