26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan: गायों के बाद अब बच्चों में लंपी जैसा रोग, जानें क्या है इस बीमारी के लक्षण? बरतें ये सावधानी

Rajasthan: सीकर में गायों में फैले लंपी जैसे वायरल के बाद अब बच्चों में हैंड-फुट-माउथ डिजीज (एचएफएमडी) ने दस्तक दे दी है। सीकर के जनाना अस्पताल में रोजाना 3 से 4 नए बच्चे ओपीडी में पहुंच रहे हैं।

2 min read
Google source verification

सीकर

image

Nirmal Pareek

Jul 24, 2025

hand-foot-mouth disease

बच्चों में हैंड-फुट-माउथ डिजीज, फोटो- राजस्थान पत्रिका

Rajasthan: सीकर में गायों में फैले लंपी जैसे वायरल के बाद अब बच्चों में हैंड-फुट-माउथ डिजीज (एचएफएमडी) ने दस्तक दे दी है। हाल यह है कि सीकर के जनाना अस्पताल में रोजाना 3 से 4 नए बच्चे इस संक्रमण के लक्षणों के साथ ओपीडी में पहुंच रहे हैं। पीडियाट्रिक विभाग के अनुसार, जुलाई के पहले सप्ताह में इस रोग के महज तीन-चार केस आते थे जो अब एक कुछ दिन में सात गुना तक बढ़ गए हैं।

बता दें, यह रोग मुख्य रूप से 1 से 10 वर्ष तक के बच्चों को प्रभावित कर रहा है। इसमें बच्चों के हाथ, पैर और मुंह में छोटे-छोटे लाल चकत्ते या फफोले, बुखार, गले में खराश और थकावट जैसे लक्षण मिल रहे हैं। राहत की बात है कि यह रोग तेजी से फैलता जरूर है लेकिन लेकिन यह गंभीर नहीं होता है। ऐसे में बच्चे को अन्य बच्चों से रखकर इसके संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।

बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण यह वायरल संक्रमण सामान्य वायरल की तुलना में देरी से ठीक हो रहा है। कई बार तो बीमार बच्चे कुछ निगल पाने में परेशानी महसूस करते हैं जिससे उनको भर्ती करने तक की नौबत आ जाती है।

जानें क्या है फुट एंड माउथ डीजिज?

चिकित्सकों के अनुसार बच्चों में होने वाली यह एक वायरस कॉकसैकी के कारण होती है। बीमारी की शुरुआत तेज बुखार से होती है। बीमारी की चपेट में आने के बाद बच्चे सुस्त और चिड़चिड़े हो जाते हैं। बीमार बच्चे खाना पीना कम कर देते हैं। इसमें पहले दिन बच्चे को बुखार आता है। फिर लाल रंग के दाने उभर आते हैं, जिनमें तेज जलन होती है। दो दिन बाद बुखार अपने आप टूट जाता है। एक सप्ताह में दाने भी दिखाई देने बंद हो जाते हैं।

ये बरतें सावधानी

चिकित्सकों ने बताया कि इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद बच्चों की व्यक्तिगत साफ-सफाई पर ध्यान दें। तेजी से फैलने वाली बीमारी के कारण संक्रमित बच्चों को आइसोलेट रखें। चिकित्सक की सलाह के बिना कोई एंटीबॉयोटिक नहीं दें। बीमार को पूरी तरह से हाइड्रेट रखने के लिए पानी का भरपूर मात्रा में सेवन करवाएं।

टॉपिक एक्सपर्ट

यह वायरल आमतौर पर 7-10 दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन इस बार बीमार बच्चों में रिकवरी 12-14 दिन तक नहीं हो पाती है। संक्रमण फैलने से रोकने के लिए बच्चे को आइसोलेट करना बेहद जरूरी होता है।

डॉ. विवेक अठवानी, शिशु रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज सीकर