scriptSikar News: राजा माधव सिंह के दौर में ऐसी थी सीकर की दिवाली, लंदन के लैंप से होती रोशनी, रंगीन चद्दरों से सजते थे घर-बाजार | Sikar Diwali time of Raja Madhav Singh lights were used London lamps | Patrika News
सीकर

Sikar News: राजा माधव सिंह के दौर में ऐसी थी सीकर की दिवाली, लंदन के लैंप से होती रोशनी, रंगीन चद्दरों से सजते थे घर-बाजार

रोशनी के पर्व का आगाज इस दौर में बांस पर बांधे आकाशीय दीये के साथ होता था। जिसमें दिवाली पर भी शहर केवल दीयों की रोशनी से सराबोर रहता था।

सीकरOct 31, 2024 / 04:42 pm

Alfiya Khan

file photo

Diwali 2024: सीकर। दिवाली का त्योहार सीकर के राजतंत्रात्मक इतिहास में भी उल्लास व उमंग से भरा पर्व रहा है। जिसमें सादगी व आस्था का पुट ज्यादा था। रोशनी के पर्व का आगाज इस दौर में बांस पर बांधे आकाशीय दीये के साथ होता था। जिसमें दिवाली पर भी शहर केवल दीयों की रोशनी से सराबोर रहता था। पेश है राजतंत्रीय शासन में मनाई जाने वाली दिवाली पर विशेष रिपोर्ट..
इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार सीकर के 267 वर्ष के राजतंत्र में संवत 1923 से 1979 यानी सन 1866 से 1922 तक सीकर में माधव सिंह का राज था। जिन्होंने दिवाली पर्व को भव्यता दी। उनके काल में लंदन में बने विशेष लैंप सुभाष चौक गढ़ व पुलिस लाइन सहित कई जगह लगाए गए थे। जो बिजली की कमी की वजह से तेल- बाती से ही रास्तों को रोशन करते थे।
शहर में शारदीय नवरात्रों के बाद से ही दिवाली की साफ- सफाई व रंगाई- पुताई शुरू हो जाती। लोग मिट्टी व गोबर से मकान लीपते थे। कार्तिक महीने का कृष्ण पक्ष शुरू होते ही घरों की मुंडेर पर लोग बांस लगाकर ऊंचाई पर आकाशीय दीये जलाते। जिसका क्रम दिवाली तक जारी रहता।
इस दौर की दिवाली पर घरों व बाजार को सजाने के लिए लोग दीवारों व छतों पर रंगीन कपड़े, चद्दर व ओढनियों से सजावट करते थे। इन्हीं कपड़ों से बाजार का छाया जाता। दिवाली के लिए दीवानजी की धर्मशाला में पहले से तैयार किए गए गमले रास्तों के दोनों ओर लगाए जाते। ना बिजली की रोशनी थी ना ही आतिशबाजी का शोर होता। हर दहलीज व छत केवल दीयों से रोशनी से सराबोर होते। इस समय लक्ष्मी जी के पन्ने शिवकाशी से छपकर आते। जिनकी घर घर में पूजा होती।

बाजौर से आते गन्ने, संगठली की बनती मिठाई

इस दौर में बाजौर व रैवासा सहित आसपास के क्षेत्र में गन्ने की खेती होती है। जहां से दिवाली के दिन कहार गन्ने लेकर आते। मिठाइयों में संगठली, गोंद पापड़ा, मखाने, लड्डू व पेड़े जैसी मिठाइयों का प्रचलन था। जो आनों में बिकती थी।

Hindi News / Sikar / Sikar News: राजा माधव सिंह के दौर में ऐसी थी सीकर की दिवाली, लंदन के लैंप से होती रोशनी, रंगीन चद्दरों से सजते थे घर-बाजार

ट्रेंडिंग वीडियो